सोमवार, 30 अगस्त 2021

झूठी f.i.r. कैसे खत्म करवा सकते हैं CrPC 482

इस लेख में आप जाने में भी झूठी f.i.r. को आप कैसे खत्म करवा सकते हैं कई बार आपने देखा होगा कि कई लोग झूठी f.i.r. करके फसा देते हैं या कोई क्राइम हो जाने पर उनके साथ मारपीट या अन्य अपराध होने पर वह ऐसे व्यक्ति को फंसा देते हैं जिससे उनकी दुश्मनी होती है तो आज आप इस लेख में यही जानेंगे कि आप ऐसी f.i.r. जो कि फर्जी है या आपको गलत तरीके से फंसाया गया है तो आप उसे खारिज कैसे करवा सकते हैं

जब भी कोई व्यक्ति आपके नाम से झूठी f.i.r. करवाता है या उसके साथ कोई संघीय अपराध होता है जिसमें आप शामिल नहीं हो और वह फिर भी आपके नाम f.i.r. करवाता है तो ऐसी कंडीशन में आप एफआईआर को खारिज करवा सकते हैं उसके दो तरीके हैं

1. सबसे पहले तो आप के नाम जब झूठी f.i.r. होती है तो जिस थाने में आपकी f.i.r. हुई और जो भी आपका इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर है उसके पास आप अपने दोस्त या अपने पिता किसी भी रिश्तेदार के द्वारा आप अपनी बेगुनाही का  सबूत वीडियो रिकॉर्डिंग या अन्य कोई सबूत उस इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर को दे सकते हैं जिससे उसे जांच करने में आसानी होगी और आपके बेगुनाही के सबूत मिलने पर आपके नाम f.i.r. रद्द की जा सकती है

यदि आपको लगता है कि इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर गलत तरीके से जांच कर रहा है उसने दूसरे पक्ष से रिश्वत ले ली है तो आप अपने क्षेत्र के CO के पास प्रमाणित एफ आई आर की कॉपी ले जा सकते हैं वहां पर अपने दोस्त या रिश्तेदार के द्वारा सीओ के यहां अपने बेगुनाही के सबूत दे सकते हैं

अगर आपको लगता है कि वो भी उनसे मिला हुआ है और CO भी आप की नहीं सुनता है तो आप एफ आई आर की प्रमाणित प्रति लेकर अपने जिले के SP को प्रार्थना पत्र लिख सकते हैं कि आपकी f.i.r. में इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर बदला जाए या आप अपने बेगुनाही के सबूत अपने दोस्त या रिश्तेदार के द्वारा SP  को भिजवा सकते हैं जिससे आपकी f.i.r. रद्द की जा सकती है


अगर फिर भी आपकी f.i.r. रद्द नहीं होती है कोई भी पुलिस ऑफिसर CO ,SP आपकी f.i.r. रद्द नहीं करते हैं आपको लगता है यह भी उनसे मिले हुए हैं या उन्होंने रिश्वत ले लिया है तो आप दंड प्रक्रिया की धारा 482 के अंतर्गत आप हाई Petition filed कर सकते हैं और वहां से अपनी बेगुनाही के सबूत दे कर झूठी FIR  quash को खारिज करवा सकते हैं


दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के अधीन हाई कोर्ट को यह अधिकार है कि वह झूठी एफआईआर को रद्द कर सकता है इसके बाद आप. आईपीसी की धारा भारतीय दंड संहिता की धारा 211 और 500 के अधीन आप झूठी एफआईआर करने वाले व्यक्ति पर भी मुकदमा केस कर सकते हैं


रविवार, 15 अगस्त 2021

Anticipatory bail 438 अग्रिम जमानत

438 गिरफ्तार की आशंका करने वाले व्यक्ति की जमानत मंजूर करने के लिए निर्देश 

जब किसी व्यक्ति को यह विश्वास हो जाए कि उसको किसी अजमानती अपराध के किए जाने के अभियोग में गिरफ्तार किया जा सकता है तो वह इस धारा के अधीन निर्देश के लिए उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय को आवेदन कर सकता है की ऐसी गिरफ्तारी की स्थिति में उसको जमानत पर छोड़ दिया जाए और उच्च न्यायालय अन्य बातों के साथ ध्यान में रखते हुए उसे ऐसी बेल मंजूर करेगा

1. अभियोग की प्रकृति और गंभीरता

2. जो आवेदक है उसने पहले किसी संज्ञेय गंभीर अपराध के लिए न्यायालय द्वारा सजा तो नहीं काटी है

3. क्या आवेदक न्याय से भागने की भविष्य में कोशिश तो नहीं करेगा

4. जहां आवेदक द्वारा उसे इस प्रकार गिरफ्तार करा कर क्षति कराने या अपमान करने के उद्देश्य उस पर अभियोग लगाया गया हो
धारा 438 इस संबंध में यह अनुचिंतित करती है कि किसी गैर जमानती अपराध के होने पर व्यक्ति की आशंका में कोई व्यक्ति एक आवेदन करेगा और इस धारा का उद्देश्य इस तरह के किसी भी व्यक्ति को अनावश्यक परेशानी से मुक्ति प्रदान करना है और यह तब मंजूर किया जाता है कि जब न्यायालय का अन्यथा यह समाधान हो जाता है कि अब जमानत मंजूर कर दिया गया तो उसकी आजादी के दुरुपयोग की कोई संभावना नहीं होती है, क्योंकि वह ना तो फरार होगा और ना ही विधि की सम्यक प्रक्रिया से बचने का ऐसा कोई कदम उठाएगा इस तरह अग्रिम जमानत के उपबंध से युक्त उक्त धारा तीन 438 उन व्यक्तियों के संबंध में परिवर्तन ही नहीं है जो संज्ञेय अपराधों के लिए गिरफ्तारी के बाद पहले से ही कारागार के भीतर हैं

इस रूप में धारा 438 का उद्देश्य गिरफ्तारी की आशंका करने वाले व्यक्ति की अग्रिम जमानत का उपबंध करना है और ऐसी जमानत मंजूर करने के लिए निर्देश देने के निमित्त उच्च न्यायालय क्या सेशन न्यायालय को सशक्त करना है इस धारा का प्रवर्तन तब प्रारंभ होता है जब किसी व्यक्ति को इस बात का विश्वास हो जाए कि उसको किसी जमानती अपराध के अभियोग में गिरफ्तार कर लिया जाएगा इस तरह आशंकित व्यक्ति के पास अपने इस विश्वास का पर्याप्त कारण होना चाहिए इस आशंकित व्यक्ति के आवेदन पर सेशन न्यायालय या उच्च न्यायालय अपने विवेक से यह निर्देश दे सकता है कि इस तरह गिरफ्तार किए जाने पर उस व्यक्ति को जमानत पर छोड़ दिया जाए उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय अग्रिम जमानत मंजूर करने का निर्देश देते समय अपने विवेक से कुछ शर्ते अथवा कुछ निम्न प्रकार की शर्तों को भी उस निर्देश में शामिल कर सकता है


1. यह की जमानत पर छोड़े जाने वाले व्यक्ति पुलिस अधिकारी के प्रश्नों का उत्तर देने के लिए उपलब्ध रहेगा

2. यह कि ऐसा व्यक्ति किसी भी ऐसे व्यक्ति को जो उसके मामले के तथ्यों से अवगत हो न्यायालय या पुलिस अधिकारी के समक्ष ऐसे तथ्य को प्रकट न करने के लिए कोई उत्प्रेरण धमकी या वचन नहीं देगा

3. यह एक ऐसा व्यक्ति न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना भारत नहीं छोड़ेगा

4. ऐसी अन्य शर्तें जो धारा 437 3 के अधीन इस प्रकार निरूपित की जा सकती है मानव धारा के अधीन जमानत मंजूर की गई हो

शनिवार, 14 अगस्त 2021

दाखिल खारिज पर आपत्ति लिखना सीखे प्रारूप

न्यायालय श्रीमान तहसीलदार ......जिला..... 

वाद संख्या......                                       वर्ष..... 

आपत्ती द्वारा....... पुत्र......... निवासी....... तहसील......
जिला......... विरुद्ध अंतरण रिपोर्ट


1. अंतरण रिपोर्ट द्वारा प्रार्थी गलत तथ्यों पर आधारित है तथा विधिक प्रक्रिया के विपरीत निरस्त होने योग्य है

2. यह के विवादित भूमि में अंकित काश्तकार..... जो प्रार्थी के पिता थे

3. यह कि प्रार्थी के पिता अपनी मृत्यु के 1 माह पूर्व से बीमार थी तथा मृत्यु के 15 दिन पूर्व तक उनके सोचने समझने की शक्ति भी जा चुकी थी इसी बीच वह प्रार्थी के साथ घर पर ही रहे घर के अलावा कहीं नहीं गए

4. यह है कि आवेदक ने इसी माध्यम मेरे पिता के स्थान पर किसी अन्य को उपनिबंधक कार्यालय में प्रस्तुत कर तथा किसी अन्य व्यक्ति को फोटो लगाकर फर्जी बैनामा करा लिया है तथाकथित बैनामा पर लगा फोटो मेरे पिता का नहीं है

5. यह है कि बैनामा में जो गवाह है वह क्रेता के रिश्तेदार हैं जिस ने मिलकर उक्त फर्जी बैनामा करवाया गया है जिन्होंने अपराधिक कृत्य किया है इस संबंध में आपराधिक कार्रवाई की जा रही है

6. यह कि गांव में घोषणा पत्र पहुंचने पर प्रार्थी को ज्ञात हुआ तब प्रार्थी ने बैनामा की नकल प्राप्त कर दीवानी न्यायालय से उसे नृत्य करने का वाद दायर कर दिया है जो न्यायालय में विचाराधीन है

7. यह कि उक्त कथित बैनामा पूर्णतया लिए वह फर्जी दस्तावेज है उससे आवेदक को कोई हक प्राप्त नहीं होता समस्त प्रक्रिया झूठ पर आधारित है

8. यह के विवादित भूमि पर अपने पिता के समय से ही काबिल चला आ रहा है तथा आज भी कागज है इस पर कथित क्रेता का कभी कोई कब्जा नहीं हुआ

अतः श्रीमान जी से प्रार्थना है कि नामांतरण सूचना सूचना निरस्त करने की कृपा करें

दिनांक....                                        आपत्ति करता
                                                     हस्ताक्षर....

सोमवार, 9 अगस्त 2021

उत्तराधिकार दाखिल खारिज रुकवाने के लिए प्रार्थना पत्र आपत्ति कैसे लगाएं

आपत्ती नामांतरण प्रार्थना पत्र

न्यायालय श्रीमान तहसीलदार .........जनपद........

वाद संख्या......                               वर्ष....... 



                      ............ बनाम............
आपत्ती द्वारा.......... पुत्र........... निवासी...........
तहसील................. जिला............ विरुद्ध नामांतरण सूचना


1. यह के नामांतरण पर सूचना द्वारा वादी गलत तथ्यों पर आधारित है विधि के प्रावधानों के विपरीत है निरस्त होने योग्य है

2. यह के आवेदन कर्ता ने मृतक की विधवा के रूप में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया है परंतु मृतक की मृत्यु दिनांक.....
को हो जाने के बाद उसने............... पुत्र........... निवासी..
से दिनांक..... को पुन्र विवाह कर लिया है इस कारण उसके सारे अधिकार व हैसियत विधवा समाप्त हो गए हैं

3. यह की पुनर्विवाह करने के उपरांत वह अपने पति के साथ ग्राम...... में रह रही है तथा दोनों ही पति-पत्नी के रूप में जीवन व्यतीत कर रहे हैं


4. यह के आवेदन कर्ता का नाम ग्राम की वोटर सूची तथा परिवार रजिस्टर में भी बहस यत पत्नी पुनर्विवाह पति दर्ज है


6. यह के आपत्ति करता मृतक का सगा भाई है मृतक के कोई पुत्र या पुत्री अथवा विधवा मां नहीं है प्रार्थी आपत्ति करता ही मृतक का एकमात्र वारिस है

7. यह के विवादित भूमि पर मृतक की मृत्यु के उपरांत आपत्ति करता का ही कब्जा चला रहा है आवेदक का विवादित भूमि पर कभी कोई कब्जा नहीं रहा

अतः श्रीमान जी से प्रार्थना है कि नामांतरण पर सूचना निरस्त करा पत्र कर्ता का नाम मृतक के स्थान पर दर्ज किया जावे


दिनांक.....                                आपत्ति करता हस्ताक्षर

रविवार, 8 अगस्त 2021

उत्तराधिकार मामले में प्रार्थना पत्र राजस्व निरीक्षक को

किसी खातेदार की मृत्यु पर उत्तराधिकार पाने वाला व्यक्ति कब्जा प्राप्त कर अपनी रिपोर्ट प्रपत्र पर राजस्व निरीक्षक को देगा यदि उत्तराधिकार विवादित है उस पर कोई विवाद नहीं है तो राजस्व निरीक्षक मृतक के स्थान पर उत्तराधिकारी का नाम अधिकार अभिलेख में दर्ज करेगा और यदि उत्तराधिकार विवादित है तो वह उचित जांच कर अपनी रिपोर्ट तहसीलदार को देगा यदि कोई व्यक्ति राजस्व निरीक्षक के आदेश से व्यथित हो अथवा राजस्व निरीक्षक के उसका नाम दर्ज न किया हो तो वह तहसीलदार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकता है इस धारा का उपबंध प्रत्येक खातेदार पर लागू होगा उत्तराधिकार के मामले में रिपोर्ट करने पर कोई स्टांप शुल्क दे नहीं होगा


प्रार्थना पत्र राजस्व निरीक्षक को
धारा 371 नियम 29(1)राजस्व संहिता

सेवा में,
           श्रीमान राजस्व निरीक्षक
           क्षेत्र........
           तहसील. ....... जनपद........

राजस्व संहिता की धारा 33(1) के अंतर्गत उत्तराधिकार हेतु रिपोर्ट

1. आवेदक का नाम.... पिता का नाम... और पता...
2. भूमि का विवरण है जिसके संबंध में रिपोर्ट की जा रही है
      ग्राम .....गाटा नंबर...... रकबा.....
3. मृतक व्यक्ति का नाम........... मृत्यु तिथि .......पिता का       नाम ........ पता.........
4. आवेदक का मृतक से संबंध.........
5. क्या आवेदक एकमात्र उत्तराधिकारी है?  यदि नहीं तो          दूसरे उत्तराधिकारी के नाम और पता........ 

6. क्या उत्तराधिकार वसीयत पर आधारित है यदि हां तो वसीयत की प्रति संलग्न करें

दिनांक.....                                  आवेदक के हस्ताक्षर

विकास प्राधिकरण अप्रूव्ड कॉलोनी प्लाटिंग कौन सी होती है और फ्री होल्ड कॉलोनी जमीन कौन सी होती है

1 - D A  एप्रूव्ड ( डी ए से स्वीकृत)  वह जमीन जो विकाश प्राधिकरण किसानों से खरीद कर स्वयं या किसी बड़े बिल्डर से शहरी आवासीय योजना के मानको क...