शनिवार, 24 फ़रवरी 2024

विकास प्राधिकरण अप्रूव्ड कॉलोनी प्लाटिंग कौन सी होती है और फ्री होल्ड कॉलोनी जमीन कौन सी होती है

1 - D A  एप्रूव्ड ( डी ए से स्वीकृत) 
वह जमीन जो विकाश प्राधिकरण किसानों से खरीद कर स्वयं या किसी बड़े बिल्डर से शहरी आवासीय योजना के मानको का ध्यान रखते हुये उस जमीन पर विकाश करता और कराता है,वह जमीन D A  एप्रूव्ड कहलाती है। 

मानक जैसे - 
सबसे छोटा रोड 9 मीटर यानी 30 फुट बड़े रोड 12,18,30,मीटर होना चाहिये । 
योजना या कॉलोनी में पार्क,सीवर लाइन,मंदिर,पानी की आपूर्ति हेतु बड़ी टंकी,बिजली,गेट, इत्यादि सुविधायें होना अनिवार्य होता है।
ऐसी कॉलोनी या योजना में आपको अपने मकान का नक्शा स्वीकृत करना होगा , अन्यथा आप निर्माण नहीं कर सकेंगें

Free Hold Property (फ्री होल्ड संपत्ति)
वह जमीन जो प्राइवेट बिल्डर या कॉलोनाइजर किसानों से खरीद कर स्वयं आपने अनुसार उस जमीन पर विकाश करते है,वह जमीन फ्री होल्ड कहलाती है। ऐसी प्रॉपर्टी की आपके नाम पक्की रजिस्ट्री और दाखिला खारिज जिला तहसील परिसर में होता है। फ्री होल्ड कॉलोनी में सभी सुविधायें बिल्डर और कॉलोनाइजर के ऊपर निर्भर करती है। जब कॉलोनी में लगभग 60 प्रतिशत विकाश हो जाता है,उसके बाद सभी सुविधायें नगर निगम के आधीन आ जाती है जैसे - रोड,सीवर इत्यादि। 
ऐसी कॉलोनी या योजना में आपको अपने मकान के नक्से की स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती।

नोट - यह जानकारी मीडिया एवं स्रोतों से इकट्ठा करके दी गई है आप यह जानकारी सही है नहीं खुद भी एक बार जरूर चेक करें । 

अवैध प्लाटिंग कॉलोनी कौन सी होती है ? अवैध प्लॉट खरीदने पर क्या परेशानी होगी

साथियों इस लेख में आप समझेंगे कि अवैध प्लॉट कॉलोनी कौन सी होती है किन कॉलोनीयों में आपको प्लॉट नहीं खरीदना चाहिए और आपके भविष्य में क्या समस्या आएगी।
अवैध कॉलोनी में कई प्रकार की समस्या आती हैं।

1. अवैध कॉलोनी का कोई भी लेआउट जारी नहीं होता है ना ही किसी प्रकार का नक्शा पास होता है। जिससे उस कॉलोनी में प्लाट खरीदने पर जो भी रोड रहती है वह सारी किसान के नाम ही रहती है उन सड़क वाले रास्तों को  बाद में फिर बदला या उन्हें भी बचा जा सकता है


2. कई बार अवैध प्रॉपर्टी डीलर जमीन को क्षेत्रफल से अधिक बेच देते हैं। कई बार देखा गया है कि तालाब ग्राम सभा कल्याण चारागाह नाला की जमीन को अपनी प्रॉपर्टी में शामिल करके बेच देते हैं। जिसे रजिस्ट्री कैंसिलेशन या अवैध निर्माण पर कार्रवाई होती है

3. कॉलोनिया अप्रूव्ड ना होने के कारण सरकार उसमें सुविधा नहीं देती जैसे शिविर लाइट पानी पार्क जैसी उसे कॉलोनी में कभी सुविधा नहीं मिलती हैं। ना ही भविष्य में उसे कॉलोनी में कोई बड़ा डेवलपमेंट हो पता है।

4. अवैध कॉलोनी कभी भी बाद में बैध नहीं बनाई जा सकती है क्योंकि उनमें रेवेन्यू विभाग NOC जारी नहीं करेगा ना ही पर्यावरण विभाग NOC जारी करेगा ना हीं ग्रीन ट्रिब्यूनल NOC जारी करेगा । इसी वजह से सरकार अवैध कॉलोनीयों पर प्रतिबंध लगाती है



गुरुवार, 22 फ़रवरी 2024

मिताक्षरा और दायभाग में अंतर

इस लेख में सरल शब्दों में शार्ट में आप जानेंगे कि मिताक्षरा और दाय  भाग में क्या अंतर होता है


 हिंदू विधि की  मिताक्षरा तथा दाएं भाग दो ही मुख्य शाखाएं हैं 

 मिताक्षरा के अनुसार- मिताक्षरा शाखा में पुत्र का पिता की पैतृक संपत्ति में जन्म से ही अधिकार होता है पुत्र पिता के साथ  स्वामी होता है  संपत्ति के हस्तांतरण करने का पिता का अधिकार उसके पुत्र के अधिकार के कारण नियंत्रण में होता है
.

2. हस्तांतरण के संबंध में- मिताक्षरा शाखा के अनुसार संयुक्त परिवार के संयुक्त  संपत्ति में अपने अंश को तब तक हस्तांतरित नहीं कर सकते जब तक कि वह अभिव्यक्त  साझेदार है



लेकिन अगर बात करें दाय भाग शाखा की तो इसके अनुसार


दाएं भाग शाखा में पुत्र का पिता की संपत्ति में अधिकार पिता की मृत्यु के पश्चात उत्पन्न होता है पिता का अपने जीवन काल में संपत्ति पर परम अधिकार होता है  पुत्र का उससे कोई संबंध नहीं होता प्रत्येक व्यक्ति का अंश उसकी मृत्यु पर दाएं के रूप में उसके  दायदो को प्राप्त होता है उत्तरजीविता का नियम यहां पर लागू नहीं होता है

2. इसके अनुसार संयुक्त परिवार का कोई भी सदस्य अभिभक्त्त (साझेदारी) संपत्ति में अपने अंश को हस्तांतरित कर सकता है




अगर आप कुछ पूछना चाहते है तो इंसटाग्राम पर पूछ सकते हो     username  law advicer adv.akshay
 

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (UPRC) धारा 34 दाखिल खारिज

  दोस्तों आज बात करेंगे की  (UPRC) उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 34 किसके बारे में प्रावधान       करती है






सबसे पहले  जान ले - उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (UPRC) की धारा 34 दाखिल खारिज  से संबंधित है



जब अंतर द्वारा (बैनामा) द्वारा भूमि के कब्जे में परिवर्तन हो तो  काबिज व्यक्ति को नाम परिवर्तन के लिए तहसीलदार के यहां रिपोर्ट करनी चाहिए रिपोर्ट की मियाद अवधि 3 माह है यदि तीन महा विक्रय दान या अंतरण तिथि से 3 माह और यदि पट्टा द्वारा अंतरण हुआ है तो कब्जा प्राप्ति से 3 महा गिना जाएगा  

  नोट   -   ऐसा नहीं है कि अगर आपने अंतरण के 3 माह तक अगर संपत्ति का नामांतरण नहीं कराया दाखिल खारिज नहीं करवाया तो बाद में नहीं होगा ऐसा बिल्कुल भी नहीं है बाद में भी आप का दाखिल खारिज हो जाएगा लेकिन मैं आपको यही राय दूंगा कि जैसे ही आप किसी भी संपत्ति का अंतरण ( रजिस्ट्री) करवाते हैं उसके तुरंत बाद दाखिल खारिज करवाले
राजस्व संहिता UPRC धारा 34 क्या है क्या प्रावधान है 

दोस्तों धारा 34  यह उपबंध करती है कि प्रत्येक व्यक्ति जो उत्तराधिकार द्वारा भूमि पर कब्जा प्राप्त करेगा या अंतर द्वारा भूमि पर कब्जा प्राप्त करेगा तो उसे कब्जे के परिवर्तन की सूचना तहसीलदार को 3 माह के अंदर देनी चाहिए  धारा 34 के अंतर्गत अंतरण की रिपोर्ट मिलने पर या अन्य किसी तरीके से उसकी जानकारी होने पर तहसीलदार ऐसी जांच करेगा जो उसे आवश्यक लगे  और यदि तहसीलदार को यह प्रतीत होता है कि अंतरण सही तरीके से हुआ है और उस पर कोई भी विवाद नहीं है तो वह खसरा खतौनी को तदनुसार संशोधित अथवा (दाखिल खारिज) करने का आदेश देगा करने का निर्देश देगा 

 तो दोस्तों उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 34 दाखिल खारिज से संबंधित है धारा 34 के अंतर्गत ही तहसीलदार को यह शक्ति दी गई है कि वह भूमि का दाखिल खारिज  करने का आदेश दे सके

महिला के नाम रजिस्ट्री करवाने पर कितने पैसों की छूट मिलती है

दोस्तों इस लेख में आप जानेंगे कि 

1.महिला के नाम जमीन की रजिस्ट्री करवाने पर कितने पैसों की बचत हो सकती है पुरुष की अपेक्षा महिला के नाम जमीन रजिस्ट्री करवाने पर कितने पैसों का फर्क आता है?

2. महिला के नाम जमीन रजिस्ट्री करवाने पर कब पैसों की छूट नहीं मिलती है?



 दोस्तों जैसा कि पिछले लेख में हमने बताया था कि ग्रामीण क्षेत्र की जमीन अथवा शहर क्षेत्र की जमीन जमीन की रजिस्ट्री कराने में  कितना खर्चा आता है

1.महिला के नाम जमीन रजिस्ट्री कराने में कितना खर्चा आता है ?

 जैसा की आप सभी लोगों को पता होगा कि महिला के नाम जमीन रजिस्ट्री कराने पर पुरुष की अपेक्षा खर्चा थोड़ा कम आता है 


 जैसे- यदि ग्राम क्षेत्र की जमीन है

तो वहां पर महिला के नाम रजिस्ट्री कराने पर जमीन की कीमत का  4 % परसेंट आपको स्टांप शुल्क देना पड़ेगा 

तो वही यदि ग्राम क्षेत्र की जमीन है  और  पुरुष के नाम रजिस्ट्री कराई जाती है तो वहां पर जमीन कीमत का   5 % परसेंट स्टांप शुल्क देना पड़ेगा 

यानी कि इससे यह स्पष्ट होता है कि पुरुष की अपेक्षा महिला के नाम रजिस्ट्री कराई जाए तो जमीन की कीमत का 1% परसेंट कम स्टांप शुल्क पर देना पड़ता है

 कितना अंतर आता है उदाहरण

 - मान लीजिए आप जो जमीन खरीद रहे हैं उसका सर्किल रेट कीमत  
₹1लाख रुपए है तो वहां पर पुरुष के नाम कराएंगे तो 1लाख का 5% स्टांप शुल्क देना पड़ेगा यानी 5000 रू

 वही यदि आप जमीन खरीद रहे हैं और जमीन का सर्किल रेट कीमत ₹1लाख  है तो वहां पर महिला के नाम कराएंगे तो 1 लाख का 4 % परसेंट स्टांप शुल्क देना पड़ेगा यानी 4000 रुपए 

तो इस हिसाब से महिला के नाम रजिस्ट्री करवाने पर 1 लाख कीमत की जमीन पर ₹1000 का अंतर पड़ा है 

उदाहरण नंबर 2 

इसी प्रकार यदि आप जो जमीन खरीद रहे हैं उसकी सर्किल रेट कीमत ₹10लाख है तो वहां पर पुरुष के नाम 10 लाख का 5%  यानी ₹50 हजार रुपए स्टांप शुल्क देना पड़ेगा

और वही यदि महिला के नाम आप जमीन खरीद रहे हैं उस जमीन का सर्किल रेट कीमत ₹10लाख रुपए है तो वहां पर महिला के नाम 10लाख का 4%परसेंट यानी कि 40,हजार का स्टांप शुल्क देना पड़ेगा

तो इस हिसाब से यहां पर महिला के नाम रजिस्ट्री कराने पर ₹10,000 का अंतर पड़ा 10 हजार की बचत होगी

नोट-  यदि आप शहरी क्षेत्र में जमीन खरीदते हैं तो वहां पर महिला के नाम जमीन के सर्किल रेट की कीमत का लगभग 6 %परसेंट स्टांप ड्यूटी लगता है और पुरुष के नाम 7% परसेंट स्टांप ड्यूटी देना पड़ता है यहां पर भी सिर्फ 1% का अंतर आ जाता है

2. महिला के नाम जमीन रजिस्ट्री कराने पर कब छूट नहीं मिलती है ?

 यदि आप जो जमीन खरीद रहे हैं उस जमीन की सर्किल रेट कीमत 10 लाख से ऊपर है तो महिला के नाम कराने पर भी 1% की स्टांप शुल्क से छूट नहीं मिलेगी 

10 लाख से ऊपर कीमत की जमीन खरीदने पर पुरुष और महिला के नाम रजिस्ट्री कराने पर सामान स्टांप शुल्क देना पड़ता है फिर वहां पर  छूट नहीं मिलती है

  उदाहरण

यदि आप जो जमीन खरीद रहे हैं उसकी सर्किल रेट सर्कल रेट कीमत 20 लाख रुपए हैं
 तो वहां पर पुरुष के  नाम  कराने  पर   20 लाख का 5 %परसेंट यानी कि ₹1 लाख स्टांप शुल्क देना पड़ेगा

और यदि आप जो जमीन खरीद रहे हैं उसकी सर्किल रेट कीमत 20लाख रुपए है
तो वहां पर महिला के नाम रजिस्ट्री कराने पर भी
 20 लाख का 5% परसेंट यानी ₹1लाख का स्टांप शुल्क ही लगेगा

जानकारी अच्छी लगी है तो लोगों में शेयर करें









पैतृक संपत्ति क्या होती है

 

 इस लेख मे जानेंगे पैतृक संपत्ति क्या होती है


 सरल सब्दो मे पैतृक संपत्ति वह संपत्ति होती हे जो आप के पीड़ी दर पीड़ी [परूष वंशानुक्रम मे आती है ] मिलती है पैतृक संपत्ति वह संपत्ति भी होती है जो आप के दादा जी से आप के पिता जी को उतराधिकार से प्राप्त हुई है  वह संपत्ति भी पैतृक संपत्ति मानी जाएगी 

    

  फिर चाहे वह संपत्ति  आप के  दादा जी की सहसंपत्ति हो या पैतृक लेकिन जब दादा जी के बाद जब वह संपत्ति आप के पिता को उतराधिकार मे  मिलेगी तो  वह संपत्ति आप के लिए पैतृक संपत्ति होगी 


नोट - 1- अगर दादा जी की कोई सह संपत्ति है ओर आप के दादा जी आप के पिता जी को दान मे या वसियत मे दे जाते तो वह तो वह संपत्ति आप के पिता की सहसंपत्ति मनी जाएगी  ऐसी  संपत्ति आपके लिए पैतृक संपत्ति नहीं होगी



 पैतृक संपत्ति ऐसी संपत्ति होती है जिसमे सहदायकी की पुरूष संतान जन्म से हक प्राप्त करती है  पैतृक संपत्ति मे पुत्र का अधिकार जन्म से होता है इस लिए  पैतृक संपत्ति पर पुत्र का अधिकार जन्म से ही  होने के कारण  पैतृक संपत्ति पर पिता को सीमित अधिकार ही प्राप्त होते है इस लिए पिता  पैतृक संपत्ति  को बिना पुत्र की सहमति से ना ही  दान दे सकता है न ही किसी को वसियत कर सकता हे न ही बेंच सकता है 


नोट - लेकिन जो आप के पिता जी ने अपनी कमाई से अपनी मेहनत  अपने रुपयो से जो संपत्ति बनाई है वह  संपत्ति आप के पिता की सह संपत्ति होगी ना की  पैतृक संपत्ति   फिर जो आप के पिता की सह संपत्ति है आप के पिता जी अपनी सह संपत्ति को बेंच सकते है दान मे दे सकते है किसी को नही ववसियत कर सकते है 

रविवार, 6 अगस्त 2023

महिला की संपत्ति में उत्तराधिकार

क- पुत्र, थर्ड जेंडर संतान ,अविवाहित पुत्री, पुत्र का पुत्र ,थर्ड जेंडर संतान, अविवाहित पुत्री पुत्र के पुत्र का पुत्र थर्ड जेंडर संतान और अविवाहित पुत्री ,पूर्व मृत पुत्र की विधवा और पूर्व मृत पुत्र के पुत्र ,पूर्व मृत पुत्र की विधवा प्रति शाखा के अनुसार समान अंशों में

परंतु यह है कि प्रथम है उसी शाखा का निकटतम दूरतर को अपवर्जित कर देगा
परंतु द्वितीय यह कोई विधवा जिसने पुनर्विवाह कर लिया है अब वर्जित हो जाएगी

ख- पति या विवाहित थर्ड जेंडर पति या पत्नी

ग- विवाहित पुत्री

घ- पुत्री का पुत्र ,थर्ड जेंडर संतान और अविवाहित पुत्री

ड- पिता

च- विधवा माता

छ- भाई जो उसी मृत पिता का पुत्र हो या थर्ड जेंडर संतान सहोदर भाई या बहन हो जो उसी मृत पिता की संतान हो और भाई का पुत्र थर्ड जेंडर संतान और अविवाहित पुत्री पितृ शाखा अनुसार 

ज- अविवाहित बहिन

झ- विवाहित बहन

ञ- बहन का पुत्र थर्ड जेंडर संतान और अविवाहित पुत्री

जमीन का आपसी सहमति से बंटवारा

आज आप इस लेख में समझेंगे खेती की जमीन का आपसी बटवारा के बारे में विस्तार से 1.क्या आपसी बटवारा मान्य होगा? 2.आपसी बटवारा कानूनी तरीके से करने का प्रोसेस ? 3.आपसी बटवारा में कितना समय लगेगा ? 

1. क्या घर पर किया गया जमीन का आपसी बटवारा मान्य है ? - नहीं.  यदि आप किसी भी जमीन का बंटवारा लोगों की सहमति या अपने भाइयों अपने पार्टनर की सहमति से कर लेते हैं तो यह बंटवारा मान्य नहीं होता क्योंकि इसका कोई भी सरकारीी रिकॉर्ड नहीं होता है यदि बटवारा करने वाला व्यक्ति हो सकता है भविष्य्य में अपनी बात से मुकर जाए तो वह दोबाराा बटवारा के केस डाल सकता है इसलिए घर पर बिना कोर्ट के बिना सरकारीी बटवारा मान्य नहीं होता 

लेकिन यदि आप चाहें तो जमीन के सभी पार्टनर आपसी सहमति कोर्ट में देकर कोर्ट द्वारा वही बंटवारे का आर्डर जारी करवा सकते हैं जिससे केस लंबा नहीं चलेगा और कम समय में अंश निर्धारण हो जाएगा और उसके हिसाब से कुरा बना दिए जाएंगे और जो कि भविष्य में सभी पक्षों को मानने पड़ेंगे इस प्रकार से आप आपसी सहमति कोर्ट में देकर कोर्ट द्वारा बटवारा डिक्री करवा सकते हैं जो की मान्य होगा

2. आपसी सहमति से बंटवारे का कानूनी प्रोसेस क्या हैै ?- इसके लिए आपको कोर्ट में बटवाराा का दावा करना पड़े़े पड़ेगा जिसके बाद सबसे पहले अंशों कााा निर्धारण होगा उसकेेेे बााद अलग-अलग कुरा बनाया जाएगा और यदि आप सभी लोग बनााए गए कुरा पर सहमत हैं तो सहमती पत्र दे सकते हैं जिससे न्यायालय वही कुरा जारी कर देगा और वही आदेश देेेगाा जो कि आपका भविष्यय में वही आपका आपसी सहमति से हुआ सरकारी बटवारा कहलाएगा अगर आप इस पर आपसीी सहमति ना दी और आपने आपत्ति कर दी तो बंटवारे का मुकदमा कई वर्षों तक चल सकता हैै।

3. आपसी बटवारा कितने दिनों में हो जाता है- बटवारा केेेेे तीन चरण होते धारा 116 में अंश निर्धारित होता है धारा 117 में कुरा  उसके बाद दखल  आपसी सहमति से बंटवारा होने में सबसे कम समय लगता है यदि आप सभी लोग बंटवारे का दावा करते हैं और आपसी सहमति कोर्ट में दे देते हैं तो उसके बाद फिर लगभग आपको 3 महीने में पूरा बंटवारा हो सकता है 1 महीने के अंदर आपकेेे अंश निर्धारित होगे उसके बाद उस जमीन का अलग कुरा तैयार कियाा जायेगा और इनकााा आदेश्श व डिक्री जारी होगी इस तरीके सेेे लगभग 3 महीने का समय लग सकता है  



बुधवार, 8 सितंबर 2021

CISF और CRPF में अंतरऔर उनके कार्य

 इस लेख में जानेंगे कि CISF और CRPF में क्या अंतर होता है इनके कार्य क्या होते हैं और इनकी फुल फॉर्म के बारे में आप विस्तार से जानेंगे

फुल फॉर्म

CISF - Central Industrial Security Force
                 केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल

CRPF - Central Reserve Police Force
                    केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल


केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल 1969 मैं अस्तित्व में आया
यह भारत सरकार गृह मंत्रालय से जुड़ी होती है CISF इस समय परमाणु संस्थापनाओ, हवाई अड्डो, बंदरगाहों समुद्री पन्तनो, विद्युत संयंत्रों, संवेदनशील सरकारी भवनों, केंद्रीय उद्योग आदि को सुरक्षा कवच प्रदान करता है क्योंकि बड़े उद्योगों में बहुत ज्यादा पैसा इन्वेस्ट होता है और कुछ ऐसे उद्योग हैं


CISF के कार्य

 *हवाई अड्डे या अन्य बड़े उद्योग जहां पर खतरा भी रहता है जहां पर सुरक्षा करना  
*भारत में बड़े केंद्रीय उद्योगों की रक्षा करने के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल जिम्मेदार है 
* बंदरगाहों की सुरक्षा करना
* भारत के अन्य बड़े उद्योगों को सुरक्षा प्रदान करना


दोस्तों जैसा कि आपने सुना होगा कि सीआईएसएफ के एक कर्मचारी ने सलमान खान को एयरपोर्ट पर चेकिंग करने के लिए रोका इससे आप समझ सकते हैं सीआईएसएफ हवाई अड्डा सरकारी भवनों आज उद्योगों को सुरक्षा प्रदान करती है


CRPF यह क्राउन प्रतिनिधि पुलिस के रूप में 27 जुलाई 1939 को अस्तित्व में आया स्वतंत्रता के बाद यह 1949 को सीआरपीएफ अधिनियम के लागू होने पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल बन गया 

CRPF केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में सबसे बड़ा है। यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय के तहत काम करता है CRPF की प्राथमिक भूमिका पुलिस कार्रवाई में संघ शासित प्रदेशों की सहायता, केंद्र शासित प्रदेश और राज्य में कानून-व्यवस्था को बनाए रखने और आतंकवाद रुकने का कार्य करती है इसके अलावा वीआईपी सिक्योरिटी और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए भी सीआरपीएफ जिम्मेदार होती है

CRPF के मुख्य कार्य
  • दंगा नियंत्रण करना
  • काउंटर अलगाववाद  उग्रवाद से निपटना
  • वामपंथी उग्रवाद से निपटना
  •  चुनाव  में विशेष रूप से बड़े पैमाने पर सुरक्षा 
  • सरकार द्वारा संयुक्त राष्ट्र शांति पालन 
  • प्राकृतिक आपदाओं के समय बचाव और राहत कार्य




रविवार, 5 सितंबर 2021

मोटरयान में परिवर्तन धारा 52 वाहनों में परिवर्तन सही है या गलत

दोस्तों इस लेख में आप जानेंगे क्या आप अपनी कार किसी भी मोटरसाइकिल अन्य वाहनों में किसी भी प्रकार का परिवर्तन मॉडिफाई करा सकते हैं क्या यह मॉडिफाई कराना अवैध है 

मोटर यान अधिनियम 1988  धारा 52 मोटरयान में परिवर्तन-

1. कोई मोटरयान स्वामी यान में इस प्रकार का परिवर्तन नहीं करेगा कि रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र में दी हुई प्रविष्टियां उनसे अलग हो जो मूल रुप से विनिर्माता द्वारा विनिर्दिष्ट है‌
( सरल भाषा में कहें तो कोई भी व्यक्ति जिसके पास कोई कार है या कोई अन्य वहान है वह उसमें ऐसा बदलाव नहीं करवा सकता है जो कि उसकी रजिस्ट्री प्रमाण पत्र से अलग हो आपने कई बार देखा होगा कि रजिस्ट्री प्रमाण पत्र में साफ-साफ सब कुछ लिखा होता है कि वहां कितने सीसी इंजन का है इसमें कितनी सवारी बैठने की क्षमता है कितना भार उठाने की क्षमता है इसीलिए कोई भी वाहन स्वामी ऐसा कोई भी बदलाव नहीं करवा सकता है जैसा कि उसकी कंपनी द्वारा जो वाहन का रजिस्ट्री प्रमाण पत्र है उसके अलग हो)

परंतु यह भी है कि केंद्र सरकार किसी विनिर्दिष्ट प्रयोजन के लिए उक्त विनिर्दिष्ट ढंग से अतिरिक्त अन्य ढंग से यान
( वाहन) में परिवर्तन के लिए छूट प्रदान कर सकती है

1. किसी मोटर वाहन का विनिर्माता केंद्रीय सरकार द्वारा जारी निर्देश पर केंद्रीय सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट ऐसे मानकों और विनर्देशों के अनुसार सुरक्षा उपकरणों या किसी अन्य उपकरणों में परिवर्तन या पुनः संयोजन करेगा

2. उप धारा 1 किसी बात के होते हुए भी कोई व्यक्ति रजिस्ट्रीकरण प्राधिकारी के पश्चआवर्ती अनुमोदन से उसकी स्वामित्व अधीन किसी यान में परिवर्तन कर सकेगा या उसे किसी रूपांतरित यान में बदलना कर सकता है

3. जहां मोटरयान में रजिस्ट्री करता प्राधिकारी के अनुमोदन के बिना कोई परिवर्तन किया गया है वहां यान का स्वामी परिवर्तन कराने की 14 दिनों के भीतर रजिस्ट्रीकरण प्राधिकारी को जिसकी अधिकारिता के भीतर वह निवास करता है परिवर्तन की रिपोर्ट करेगा और विद फीस के साथ उस प्राधिकारी को रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र प्रस्तुत करेगा जिससे रजिस्ट्रीकरण का विवरण उस में प्रवेश किया जाए

4. कोई ऐसी प्रविष्टि करने वाले मूल रजिस्ट्री करता प्राधिकारी के अतिरिक्त कोई अन्य रजिस्ट्री करता प्राधिकारी प्रवृति के विवरण की सन सूचना मूल रजिस्ट्री करता प्राधिकारी को देगा

5. उप धारा 1 2 3 और 4 के अधीन किए गए प्रावधानों के अधीन कोई व्यक्ति जो अवक्रय करार के अधीन यान को धारण करता है, रजिस्ट्री कृत स्वामी की लिखित सहमति के सिवाय यान में कोई परिवर्तन नहीं करेगा

स्पष्टीकरण- इस धारा के प्रयोजन के लिए परिवर्तन से यान की संरचना में परिवर्तन है जिसका परिणाम उसके मूल लक्षण में परिवर्तन में होता है


सोमवार, 30 अगस्त 2021

झूठी f.i.r. कैसे खत्म करवा सकते हैं CrPC 482

इस लेख में आप जाने में भी झूठी f.i.r. को आप कैसे खत्म करवा सकते हैं कई बार आपने देखा होगा कि कई लोग झूठी f.i.r. करके फसा देते हैं या कोई क्राइम हो जाने पर उनके साथ मारपीट या अन्य अपराध होने पर वह ऐसे व्यक्ति को फंसा देते हैं जिससे उनकी दुश्मनी होती है तो आज आप इस लेख में यही जानेंगे कि आप ऐसी f.i.r. जो कि फर्जी है या आपको गलत तरीके से फंसाया गया है तो आप उसे खारिज कैसे करवा सकते हैं

जब भी कोई व्यक्ति आपके नाम से झूठी f.i.r. करवाता है या उसके साथ कोई संघीय अपराध होता है जिसमें आप शामिल नहीं हो और वह फिर भी आपके नाम f.i.r. करवाता है तो ऐसी कंडीशन में आप एफआईआर को खारिज करवा सकते हैं उसके दो तरीके हैं

1. सबसे पहले तो आप के नाम जब झूठी f.i.r. होती है तो जिस थाने में आपकी f.i.r. हुई और जो भी आपका इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर है उसके पास आप अपने दोस्त या अपने पिता किसी भी रिश्तेदार के द्वारा आप अपनी बेगुनाही का  सबूत वीडियो रिकॉर्डिंग या अन्य कोई सबूत उस इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर को दे सकते हैं जिससे उसे जांच करने में आसानी होगी और आपके बेगुनाही के सबूत मिलने पर आपके नाम f.i.r. रद्द की जा सकती है

यदि आपको लगता है कि इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर गलत तरीके से जांच कर रहा है उसने दूसरे पक्ष से रिश्वत ले ली है तो आप अपने क्षेत्र के CO के पास प्रमाणित एफ आई आर की कॉपी ले जा सकते हैं वहां पर अपने दोस्त या रिश्तेदार के द्वारा सीओ के यहां अपने बेगुनाही के सबूत दे सकते हैं

अगर आपको लगता है कि वो भी उनसे मिला हुआ है और CO भी आप की नहीं सुनता है तो आप एफ आई आर की प्रमाणित प्रति लेकर अपने जिले के SP को प्रार्थना पत्र लिख सकते हैं कि आपकी f.i.r. में इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर बदला जाए या आप अपने बेगुनाही के सबूत अपने दोस्त या रिश्तेदार के द्वारा SP  को भिजवा सकते हैं जिससे आपकी f.i.r. रद्द की जा सकती है


अगर फिर भी आपकी f.i.r. रद्द नहीं होती है कोई भी पुलिस ऑफिसर CO ,SP आपकी f.i.r. रद्द नहीं करते हैं आपको लगता है यह भी उनसे मिले हुए हैं या उन्होंने रिश्वत ले लिया है तो आप दंड प्रक्रिया की धारा 482 के अंतर्गत आप हाई Petition filed कर सकते हैं और वहां से अपनी बेगुनाही के सबूत दे कर झूठी FIR  quash को खारिज करवा सकते हैं


दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के अधीन हाई कोर्ट को यह अधिकार है कि वह झूठी एफआईआर को रद्द कर सकता है इसके बाद आप. आईपीसी की धारा भारतीय दंड संहिता की धारा 211 और 500 के अधीन आप झूठी एफआईआर करने वाले व्यक्ति पर भी मुकदमा केस कर सकते हैं


विकास प्राधिकरण अप्रूव्ड कॉलोनी प्लाटिंग कौन सी होती है और फ्री होल्ड कॉलोनी जमीन कौन सी होती है

1 - D A  एप्रूव्ड ( डी ए से स्वीकृत)  वह जमीन जो विकाश प्राधिकरण किसानों से खरीद कर स्वयं या किसी बड़े बिल्डर से शहरी आवासीय योजना के मानको क...