हिंदू विधि की मिताक्षरा तथा दाएं भाग दो ही मुख्य शाखाएं हैं
मिताक्षरा के अनुसार- मिताक्षरा शाखा में पुत्र का पिता की पैतृक संपत्ति में जन्म से ही अधिकार होता है पुत्र पिता के साथ स्वामी होता है संपत्ति के हस्तांतरण करने का पिता का अधिकार उसके पुत्र के अधिकार के कारण नियंत्रण में होता है
2. हस्तांतरण के संबंध में- मिताक्षरा शाखा के अनुसार संयुक्त परिवार के संयुक्त संपत्ति में अपने अंश को तब तक हस्तांतरित नहीं कर सकते जब तक कि वह अभिव्यक्त साझेदार है
लेकिन अगर बात करें दाय भाग शाखा की तो इसके अनुसार
दाएं भाग शाखा में पुत्र का पिता की संपत्ति में अधिकार पिता की मृत्यु के पश्चात उत्पन्न होता है पिता का अपने जीवन काल में संपत्ति पर परम अधिकार होता है पुत्र का उससे कोई संबंध नहीं होता प्रत्येक व्यक्ति का अंश उसकी मृत्यु पर दाएं के रूप में उसके दायदो को प्राप्त होता है उत्तरजीविता का नियम यहां पर लागू नहीं होता है
2. इसके अनुसार संयुक्त परिवार का कोई भी सदस्य अभिभक्त्त (साझेदारी) संपत्ति में अपने अंश को हस्तांतरित कर सकता है
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