लेख में आप जानेगे की प्लाट का दाखिल खारिज कब होता है कब नहीं होता है ?
सबसे पहले जानना होगा कि दाखिल खारिज होता क्या है ? और यह कब कराना पड़ता है ?
जब हम कृषि भूमि या कोई अचल संपत्ति खरीदते हैं तो सबसे पहले उसकी रजिस्ट्री करवाते है और रजिस्ट्री करवाने के बाद उस संपत्ति का स्वामित्व कब्जा खरीदने वाले व्यक्ति को प्राप्त हो जाता है
लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में सरकारी दस्तावेजों में तब तक वह संपत्ति उसके नाम दर्ज नहीं होती जब तक की दाखिल खारिज की प्रक्रिया ना हो
दाखिल खारिज में जो व्यक्ति संपत्ति बेचता है उसका सरकारी दस्तावेजों से नाम खारिज करके जो व्यक्ति संपत्ति खरीदता है उसका नाम दाखिल (दर्ज) कर दिया जाता है और सरकारी अभिलेखों में भी वह संपत्ति का मालिक माना जाता है
प्लॉट का दाखिल खारिज कब होता है ?
दोस्तों वैसे तो जो जमीन खेती के प्रयोजन से है उसके दाखिल खारिज का प्रावधान उत्तर प्रदेश भूमि विधि की धारा 34.35 करती है
अब बात आती है क्या प्लॉट का दाखिल खारिज होता है तो जी हां प्लॉट का दाखिल खारिज होता है
दोस्तों जैसा कि आपको पता होगा कि जब कोई व्यक्ति अपनी खेती की जमीन में प्लॉटिंग या कोई उद्योग लगाता है तो वह उस जमीन को धारा 143 में परिवर्तन करया जाता है
भूमि अधिनियम धारा 143 के अनुसार कृषि भूमी से अकृषि भूमि में बदली जाती है
देखिए अगर आपने कोई प्लॉट खरीदा है तो वहां पर अगर प्लॉट वाले मालिक ने अगर अपनी जमीन का धारा 143 में परिवर्तन कराया होगा तो वहां पर आपका प्लॉट आपके नाम दाखिल खारिज होगा
अगर आपको प्लॉट विक्रेता ने अपनी कृषि योग्य जमीन के बिना धारा 143 लागू कराए प्लॉट बेचा है
तो वहां पर आप के प्लॉट का दाखिल खारिज नहीं होगा
कई बार ऐसा होता है कि लोग अपनी कृषि भूमि को बिना धारा 143 में परिवर्तन कराएं प्लॉट, घर या उद्योग लगा लेते हैं उस स्थिति में वहां पर प्लॉटों का दाखिल खारिज नहीं होता है इसीलिए कई लोगों में भ्रम रहता है कि प्लॉट का दाखिल खारिज नहीं होता है
अगर आपको कंफर्म करना है कि आपके क्षेत्र में प्लॉट का दाखिल खारिज होता है या नहीं तो जो भी आपकी तहसील है वहां पर आप पता कर सकते हैं कि प्लॉट का दाखिल खारिज यहां पर होता है या नहीं होता है
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