शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

हिंदू उत्तराधिकार संशोधन अधिनियम 2005 महिलाओं को कृषि भूमि में अधिकार दिए गए हैं

  


दोस्तों इस लेख में आप जानेंगे हिंदू उत्तराधिकार संशोधन अधिनियम 2005 मे महिलाओं को कौन-कौन से अधिकार दिए गए हैं


 अधिनियम लागू होने के बाद स्त्री को पैतृक अथवा हिन्दू सहदायकी सांपत्ति पर पूर्ण अधिकार प्राप्त हो गए हैं संशोधन अधिनियम 2005 में पुत्र एवं पुत्री को जन्म से   पैतृक  संपत्ति में स्वतंत्र रूप से अधिकार प्रदान किए गए हैं जितना अधिकार एक पुत्र का है उतना ही अधिकार अब एक पुत्री का है 


जानकारी के लिए बता दू - संपत्ति संबंधी अधिकार अधिनियम 1937 की धारा 3 के अंतर्गत स्त्रियों को   सहदायकी संपत्ति पर सीमित प्रदान थे  संपत्ति संबंधी अधिकार अधिनियम 1937 के अनुसार स्त्रियों को जो भी उन्हें  पति की मृत्यु के बाद जो भी उन्हें संपत्ति मिलती थी उन पर उनके सीमित अधिकार ही  प्रदान थे  यानी बह उस  संपत्ति से भरण-पोषण प्राप्त  कर  सकती थी 

लेकिन उस संपत्ति पर पूर्ण अधिकार नहीं थे 


अब  इस संसोधित  अधिनियम  के बाद स्त्रियों को भी यह अधिकार प्रदान किया है कि वह अपने पैतृक संपत्ति अथवा संयुक्त हिंदू परिवार से प्राप्त संपत्ति में ठीक उसी तरह अधिकार रखती है जिस तरह एक पुरुष रखता इसके अनुसार स्त्रियां अब पैतृक संपत्ति अथवा संयुक्त हिंदू परिवार की संपत्ति प्राप्त हुई है तो अब उस संपत्ति की पूर्णता स्वामी होंगी 


अब बात करेंगे स्त्रियों के संबंध में असंशोधित अधिकार एवं संशोधित अधिकारों में क्या परिवर्तन हुआ है क्या क्या अंतर आए हैं


हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अंतर्गत कृषि भूमि के संबंध में धारा 4 की उपधारा के अंतर्गत 


1956 के अधिनियम के अंतर्गत कृषि भूमि से संबंधित उत्तराधिकार के संबंध में राज्य स्तरीय नियम कानून लागू होते थे ना कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अंतर्गत  राज्य स्तरीय भूमि  नियम और कानून  पुत्र और पुत्रियों के बीच उत्तराधिकार में समानता उत्पन्न करते सकते  थे लेकिन अब 



हिंदू उत्तराधिकार संशोधन अधिनियम 2005 के अंतर्गत


 जबकि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत भूमि के संबंध में जो भी राज्य स्तरीय भूमि  नियम कानून थे  तथा वह पुत्र पुत्रियों के बीच विभेद असमानता उत्पन्न करते थे उन्हें समाप्त कर दिया गया है और पुत्री एवं पुत्रियों को समान रूप से कृषि भूमि में भी अधिकार देने का प्रावधान किया गया है  


नोट - लेकिन अभी भी कई राज्यों की भूमि विधियां हैं वह पुत्र और पुत्रियों के बीच कृषि भूमि के उत्तराधिकारओं में असमानता कर रही है



हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अंतर्गत मिताक्षरा संयुक्त परिवार संपत्ति धारा 6 के अंतर्गत


पुत्र को संयुक्त हिंदू परिवार अथवा  पैतृक संपत्ति में जन्म से अधिकार था परंतु पुत्रियों को इस संबंध में कोई अधिकार प्राप्त नहीं था लेकिन अब 


 संशोधित उत्तराधिकार अधिनियम 2005  के अंतर्गत पुत्र एवं पुत्री को जन्म से हिंदू परिवार की पैतृक संपत्ति   पर भी अधिकार स्वतंत्र रूप से पुत्र की तरह प्रदान किया गया है 


उत्तराधिकार धारा 30 वसीयत के संबंध में हिंदू उत्तराधिकार 1956 के अंतर्गत- किसी पुरुष को इस बात का पूर्ण अधिकार है कि वह अपनी संपत्ति का अथवा संयुक्त हिंदू परिवार में जो संपत्ति उसे प्राप्त हुई है उसकी वसीयत कर सकता था लेकिन अब 


संशोधन अधिनियम 2005 के अंतर्गत पुरुष के साथ ही साथ स्त्री को भी यह अधिकार प्रदान किया है कि वह अपने पैतृक संपत्ति अथवा संयुक्त हिंदू परिवार से प्राप्त संपत्ति  की वसीयत कर सकती है


यदि आपको जमीन से जुड़ी और भी  जानकारी पढ़नी है  नीचे और भी जानकारियां दी गई है आप उन्हें पढ़ सकते हैं

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