दोस्तों अक्सर हमारे जीवन में कुछ गलतियां हम से ऐसी हो जाती है जो हम न चाहकर भी और यह जानकर कि हां यह गलती है ऐसे नहीं करना चाहिए और हम कर बैठते हैं उसकी मुख्य वजह होती है कि हम अपनी इंद्रियों को काबू में नहीं कर पाते हैं और आप एक बात जान ले कि हमारी इंद्रियां इतनी वेगवान होती है इतनी ताकतवर होती है कि वे एक विवेक समझदार पुरुष और ज्ञानी पुरुष के मन को भी बलपूर्वक हर लेते हैं और हम गलती कर बैठते हैं या हम यह जानकर भी कि मैं जो कर रहा हूं गलत कर रहा हूं और फिर भी वह गलती कर बैठते हैं
चलिए जान लेते हैं हम अपनी इंद्रियों को मन कैसे वश में करें कैसे गलती करने से बचें
उदाहरण- कई बार आपने देखा होगा जिन लोगों को डायबिटीज होती है जो शुगर के मरीज होते हैं और जब घर में मिठाइयां बनती है तो वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाते वह यह जानकर भी कि मिठाई मुझे नुकसान करेगी फिर भी वह खाते हैं क्योंकि वह अपनी इंद्रियों पर काबू नहीं कर पा रहे हैं इसका परिणाम उन्हें यह मिलता है कि उन्हें वह मिठाई नुकसान ही करती है
सिगरेट पीने वाले लोग वह जानते हैं कि धूम्रपान से कैंसर होताा है सिगरेट के डब्बे के ऊपर स्पष्ट रुप से लिखा होता हैै कि धूम्रपान से कैंसर होता है
फिर भी वह लोग अपने आप को सिगरेट पीने से नहीं रोक पाते हैं
गीता श्लोक के अनुसार
इन्द्रियाणि प्रमाथीन हरन्ति प्रसभं मनः ||६०||
हिंदी अर्थ
श्री कृष्ण भगवान अर्जुन से कहते हैं कि हे अर्जुन ! इंद्रियां इतनी प्रबल तथा वेगवान है कि वे उस विवेक पुरुष के मन को भी बलपूर्वक हर लेती है, जो उन्हें वश में करने का प्रयत्न करता है
अनेक विद्वान ऋषि इंद्रियों को वश में करने का प्रयत्न करते हैं किंतु उनमें से बड़े से बड़ा भी कभी-कभी विचलित मन के कारण इंद्रियभोग का लक्ष्य बन जाता है यहां तक कि विश्वामित्र जैसे महर्षि तथा जो पूर्ण रूप से योगी थे वह भी मेनका के साथ संभोग में प्रवृत्त होना पड़ा , हालांकि भी इंद्रियनिग्रह के लिए कठिन तपस्या तथा योग कर रहे थे विश्व इतिहास गवाह है इसी तरह की अनेक घटनाएं है इंद्रियों को वश में करना अत्यंत कठिन है | अपने मन को भगवन श्री कृष्ण में लगाए बिना मनुष्य ऐसे भौतिक कार्यों को बंद नहीं कर सकता है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें