शाब्दिक रूप से , शब्द " दाखिल खारिज करना ' का तात्पर्य " परिवर्तन करने से है । जब काश्तकार की ओर से मृत्यु , उत्तराधिकार या अन्तरण के कारण राजस्व अभिलेखों में विद्यमान प्रवृत्तियाँ त्रुटिपूर्ण या व्यर्थ हो जाती हैं , तब कलेक्टर से उन्हें शुद्ध करने की अपेक्षा की जाती है , जिससे भू - राजस्व से अबाध प्रवाह को सुगम बनाया जा सके । ऐसा शुद्धीकरण या तो उत्तराधिकार या अन्तरण के आधार पर कब्जा प्राप्त करने वाले व्यक्ति की रिपोर्ट पर या राजस्व प्राधिकारियों के ज्ञान में अन्यथा आने वाले तथ्यों के आधार पर किये जाते हैं । हिन्दी का समान शब्द दाखिल खारिज भी वही विचार व्यक्त करता है , क्योंकि किसी के नाम का विलोपन किया जाता है और अन्य व्यक्ति के नाम को प्रविष्ट किया जाता है । इस प्रकार , दाखिल खारिज एक विधिक प्रक्रिया है , जिसके माध्यम से अधिकार अभिलेख में प्रविष्टियाँ उत्तराधिकार या अन्तरण के आधार पर परिवर्तित की जाती हैं । जब राजस्व अभिलेखों को उ.प्र.राजस्व संहिता की धारा 32 या धारा 38 के अधीन शुद्ध किये जाने की अपेक्षा की जाती है , तब ऐसा परिवर्तन भी उक्त संहिता के अध्याय 5 के प्रयोजनों के लिए शब्द " दाखिल खारिज " द्वारा ही आच्छादित माना जाता है । दाखिल खारिज और शुद्धीकरण के बीच पर्याप्त अन्तर है । प्रत्येक दाखिल खारिज शुद्धीकरण की परिधि में आता है , किन्तु प्रत्येक शुद्धीकरण को दाखिल खारिज की संज्ञा प्रदान नहीं की जा सकती है
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