शनिवार, 24 फ़रवरी 2024

विकास प्राधिकरण अप्रूव्ड कॉलोनी प्लाटिंग कौन सी होती है और फ्री होल्ड कॉलोनी जमीन कौन सी होती है

1 - D A  एप्रूव्ड ( डी ए से स्वीकृत) 
वह जमीन जो विकाश प्राधिकरण किसानों से खरीद कर स्वयं या किसी बड़े बिल्डर से शहरी आवासीय योजना के मानको का ध्यान रखते हुये उस जमीन पर विकाश करता और कराता है,वह जमीन D A  एप्रूव्ड कहलाती है। 

मानक जैसे - 
सबसे छोटा रोड 9 मीटर यानी 30 फुट बड़े रोड 12,18,30,मीटर होना चाहिये । 
योजना या कॉलोनी में पार्क,सीवर लाइन,मंदिर,पानी की आपूर्ति हेतु बड़ी टंकी,बिजली,गेट, इत्यादि सुविधायें होना अनिवार्य होता है।
ऐसी कॉलोनी या योजना में आपको अपने मकान का नक्शा स्वीकृत करना होगा , अन्यथा आप निर्माण नहीं कर सकेंगें

Free Hold Property (फ्री होल्ड संपत्ति)
वह जमीन जो प्राइवेट बिल्डर या कॉलोनाइजर किसानों से खरीद कर स्वयं आपने अनुसार उस जमीन पर विकाश करते है,वह जमीन फ्री होल्ड कहलाती है। ऐसी प्रॉपर्टी की आपके नाम पक्की रजिस्ट्री और दाखिला खारिज जिला तहसील परिसर में होता है। फ्री होल्ड कॉलोनी में सभी सुविधायें बिल्डर और कॉलोनाइजर के ऊपर निर्भर करती है। जब कॉलोनी में लगभग 60 प्रतिशत विकाश हो जाता है,उसके बाद सभी सुविधायें नगर निगम के आधीन आ जाती है जैसे - रोड,सीवर इत्यादि। 
ऐसी कॉलोनी या योजना में आपको अपने मकान के नक्से की स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती।

नोट - यह जानकारी मीडिया एवं स्रोतों से इकट्ठा करके दी गई है आप यह जानकारी सही है नहीं खुद भी एक बार जरूर चेक करें । 

अवैध प्लाटिंग कॉलोनी कौन सी होती है ? अवैध प्लॉट खरीदने पर क्या परेशानी होगी

साथियों इस लेख में आप समझेंगे कि अवैध प्लॉट कॉलोनी कौन सी होती है किन कॉलोनीयों में आपको प्लॉट नहीं खरीदना चाहिए और आपके भविष्य में क्या समस्या आएगी।
अवैध कॉलोनी में कई प्रकार की समस्या आती हैं।

1. अवैध कॉलोनी का कोई भी लेआउट जारी नहीं होता है ना ही किसी प्रकार का नक्शा पास होता है। जिससे उस कॉलोनी में प्लाट खरीदने पर जो भी रोड रहती है वह सारी किसान के नाम ही रहती है उन सड़क वाले रास्तों को  बाद में फिर बदला या उन्हें भी बचा जा सकता है


2. कई बार अवैध प्रॉपर्टी डीलर जमीन को क्षेत्रफल से अधिक बेच देते हैं। कई बार देखा गया है कि तालाब ग्राम सभा कल्याण चारागाह नाला की जमीन को अपनी प्रॉपर्टी में शामिल करके बेच देते हैं। जिसे रजिस्ट्री कैंसिलेशन या अवैध निर्माण पर कार्रवाई होती है

3. कॉलोनिया अप्रूव्ड ना होने के कारण सरकार उसमें सुविधा नहीं देती जैसे शिविर लाइट पानी पार्क जैसी उसे कॉलोनी में कभी सुविधा नहीं मिलती हैं। ना ही भविष्य में उसे कॉलोनी में कोई बड़ा डेवलपमेंट हो पता है।

4. अवैध कॉलोनी कभी भी बाद में बैध नहीं बनाई जा सकती है क्योंकि उनमें रेवेन्यू विभाग NOC जारी नहीं करेगा ना ही पर्यावरण विभाग NOC जारी करेगा ना हीं ग्रीन ट्रिब्यूनल NOC जारी करेगा । इसी वजह से सरकार अवैध कॉलोनीयों पर प्रतिबंध लगाती है



गुरुवार, 22 फ़रवरी 2024

मिताक्षरा और दायभाग में अंतर

इस लेख में सरल शब्दों में शार्ट में आप जानेंगे कि मिताक्षरा और दाय  भाग में क्या अंतर होता है


 हिंदू विधि की  मिताक्षरा तथा दाएं भाग दो ही मुख्य शाखाएं हैं 

 मिताक्षरा के अनुसार- मिताक्षरा शाखा में पुत्र का पिता की पैतृक संपत्ति में जन्म से ही अधिकार होता है पुत्र पिता के साथ  स्वामी होता है  संपत्ति के हस्तांतरण करने का पिता का अधिकार उसके पुत्र के अधिकार के कारण नियंत्रण में होता है
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2. हस्तांतरण के संबंध में- मिताक्षरा शाखा के अनुसार संयुक्त परिवार के संयुक्त  संपत्ति में अपने अंश को तब तक हस्तांतरित नहीं कर सकते जब तक कि वह अभिव्यक्त  साझेदार है



लेकिन अगर बात करें दाय भाग शाखा की तो इसके अनुसार


दाएं भाग शाखा में पुत्र का पिता की संपत्ति में अधिकार पिता की मृत्यु के पश्चात उत्पन्न होता है पिता का अपने जीवन काल में संपत्ति पर परम अधिकार होता है  पुत्र का उससे कोई संबंध नहीं होता प्रत्येक व्यक्ति का अंश उसकी मृत्यु पर दाएं के रूप में उसके  दायदो को प्राप्त होता है उत्तरजीविता का नियम यहां पर लागू नहीं होता है

2. इसके अनुसार संयुक्त परिवार का कोई भी सदस्य अभिभक्त्त (साझेदारी) संपत्ति में अपने अंश को हस्तांतरित कर सकता है




अगर आप कुछ पूछना चाहते है तो इंसटाग्राम पर पूछ सकते हो     username  law advicer adv.akshay
 

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (UPRC) धारा 34 दाखिल खारिज

  दोस्तों आज बात करेंगे की  (UPRC) उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 34 किसके बारे में प्रावधान       करती है






सबसे पहले  जान ले - उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (UPRC) की धारा 34 दाखिल खारिज  से संबंधित है



जब अंतर द्वारा (बैनामा) द्वारा भूमि के कब्जे में परिवर्तन हो तो  काबिज व्यक्ति को नाम परिवर्तन के लिए तहसीलदार के यहां रिपोर्ट करनी चाहिए रिपोर्ट की मियाद अवधि 3 माह है यदि तीन महा विक्रय दान या अंतरण तिथि से 3 माह और यदि पट्टा द्वारा अंतरण हुआ है तो कब्जा प्राप्ति से 3 महा गिना जाएगा  

  नोट   -   ऐसा नहीं है कि अगर आपने अंतरण के 3 माह तक अगर संपत्ति का नामांतरण नहीं कराया दाखिल खारिज नहीं करवाया तो बाद में नहीं होगा ऐसा बिल्कुल भी नहीं है बाद में भी आप का दाखिल खारिज हो जाएगा लेकिन मैं आपको यही राय दूंगा कि जैसे ही आप किसी भी संपत्ति का अंतरण ( रजिस्ट्री) करवाते हैं उसके तुरंत बाद दाखिल खारिज करवाले
राजस्व संहिता UPRC धारा 34 क्या है क्या प्रावधान है 

दोस्तों धारा 34  यह उपबंध करती है कि प्रत्येक व्यक्ति जो उत्तराधिकार द्वारा भूमि पर कब्जा प्राप्त करेगा या अंतर द्वारा भूमि पर कब्जा प्राप्त करेगा तो उसे कब्जे के परिवर्तन की सूचना तहसीलदार को 3 माह के अंदर देनी चाहिए  धारा 34 के अंतर्गत अंतरण की रिपोर्ट मिलने पर या अन्य किसी तरीके से उसकी जानकारी होने पर तहसीलदार ऐसी जांच करेगा जो उसे आवश्यक लगे  और यदि तहसीलदार को यह प्रतीत होता है कि अंतरण सही तरीके से हुआ है और उस पर कोई भी विवाद नहीं है तो वह खसरा खतौनी को तदनुसार संशोधित अथवा (दाखिल खारिज) करने का आदेश देगा करने का निर्देश देगा 

 तो दोस्तों उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 34 दाखिल खारिज से संबंधित है धारा 34 के अंतर्गत ही तहसीलदार को यह शक्ति दी गई है कि वह भूमि का दाखिल खारिज  करने का आदेश दे सके

महिला के नाम रजिस्ट्री करवाने पर कितने पैसों की छूट मिलती है

दोस्तों इस लेख में आप जानेंगे कि 

1.महिला के नाम जमीन की रजिस्ट्री करवाने पर कितने पैसों की बचत हो सकती है पुरुष की अपेक्षा महिला के नाम जमीन रजिस्ट्री करवाने पर कितने पैसों का फर्क आता है?

2. महिला के नाम जमीन रजिस्ट्री करवाने पर कब पैसों की छूट नहीं मिलती है?



 दोस्तों जैसा कि पिछले लेख में हमने बताया था कि ग्रामीण क्षेत्र की जमीन अथवा शहर क्षेत्र की जमीन जमीन की रजिस्ट्री कराने में  कितना खर्चा आता है

1.महिला के नाम जमीन रजिस्ट्री कराने में कितना खर्चा आता है ?

 जैसा की आप सभी लोगों को पता होगा कि महिला के नाम जमीन रजिस्ट्री कराने पर पुरुष की अपेक्षा खर्चा थोड़ा कम आता है 


 जैसे- यदि ग्राम क्षेत्र की जमीन है

तो वहां पर महिला के नाम रजिस्ट्री कराने पर जमीन की कीमत का  4 % परसेंट आपको स्टांप शुल्क देना पड़ेगा 

तो वही यदि ग्राम क्षेत्र की जमीन है  और  पुरुष के नाम रजिस्ट्री कराई जाती है तो वहां पर जमीन कीमत का   5 % परसेंट स्टांप शुल्क देना पड़ेगा 

यानी कि इससे यह स्पष्ट होता है कि पुरुष की अपेक्षा महिला के नाम रजिस्ट्री कराई जाए तो जमीन की कीमत का 1% परसेंट कम स्टांप शुल्क पर देना पड़ता है

 कितना अंतर आता है उदाहरण

 - मान लीजिए आप जो जमीन खरीद रहे हैं उसका सर्किल रेट कीमत  
₹1लाख रुपए है तो वहां पर पुरुष के नाम कराएंगे तो 1लाख का 5% स्टांप शुल्क देना पड़ेगा यानी 5000 रू

 वही यदि आप जमीन खरीद रहे हैं और जमीन का सर्किल रेट कीमत ₹1लाख  है तो वहां पर महिला के नाम कराएंगे तो 1 लाख का 4 % परसेंट स्टांप शुल्क देना पड़ेगा यानी 4000 रुपए 

तो इस हिसाब से महिला के नाम रजिस्ट्री करवाने पर 1 लाख कीमत की जमीन पर ₹1000 का अंतर पड़ा है 

उदाहरण नंबर 2 

इसी प्रकार यदि आप जो जमीन खरीद रहे हैं उसकी सर्किल रेट कीमत ₹10लाख है तो वहां पर पुरुष के नाम 10 लाख का 5%  यानी ₹50 हजार रुपए स्टांप शुल्क देना पड़ेगा

और वही यदि महिला के नाम आप जमीन खरीद रहे हैं उस जमीन का सर्किल रेट कीमत ₹10लाख रुपए है तो वहां पर महिला के नाम 10लाख का 4%परसेंट यानी कि 40,हजार का स्टांप शुल्क देना पड़ेगा

तो इस हिसाब से यहां पर महिला के नाम रजिस्ट्री कराने पर ₹10,000 का अंतर पड़ा 10 हजार की बचत होगी

नोट-  यदि आप शहरी क्षेत्र में जमीन खरीदते हैं तो वहां पर महिला के नाम जमीन के सर्किल रेट की कीमत का लगभग 6 %परसेंट स्टांप ड्यूटी लगता है और पुरुष के नाम 7% परसेंट स्टांप ड्यूटी देना पड़ता है यहां पर भी सिर्फ 1% का अंतर आ जाता है

2. महिला के नाम जमीन रजिस्ट्री कराने पर कब छूट नहीं मिलती है ?

 यदि आप जो जमीन खरीद रहे हैं उस जमीन की सर्किल रेट कीमत 10 लाख से ऊपर है तो महिला के नाम कराने पर भी 1% की स्टांप शुल्क से छूट नहीं मिलेगी 

10 लाख से ऊपर कीमत की जमीन खरीदने पर पुरुष और महिला के नाम रजिस्ट्री कराने पर सामान स्टांप शुल्क देना पड़ता है फिर वहां पर  छूट नहीं मिलती है

  उदाहरण

यदि आप जो जमीन खरीद रहे हैं उसकी सर्किल रेट सर्कल रेट कीमत 20 लाख रुपए हैं
 तो वहां पर पुरुष के  नाम  कराने  पर   20 लाख का 5 %परसेंट यानी कि ₹1 लाख स्टांप शुल्क देना पड़ेगा

और यदि आप जो जमीन खरीद रहे हैं उसकी सर्किल रेट कीमत 20लाख रुपए है
तो वहां पर महिला के नाम रजिस्ट्री कराने पर भी
 20 लाख का 5% परसेंट यानी ₹1लाख का स्टांप शुल्क ही लगेगा

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पैतृक संपत्ति क्या होती है

 

 इस लेख मे जानेंगे पैतृक संपत्ति क्या होती है


 सरल सब्दो मे पैतृक संपत्ति वह संपत्ति होती हे जो आप के पीड़ी दर पीड़ी [परूष वंशानुक्रम मे आती है ] मिलती है पैतृक संपत्ति वह संपत्ति भी होती है जो आप के दादा जी से आप के पिता जी को उतराधिकार से प्राप्त हुई है  वह संपत्ति भी पैतृक संपत्ति मानी जाएगी 

    

  फिर चाहे वह संपत्ति  आप के  दादा जी की सहसंपत्ति हो या पैतृक लेकिन जब दादा जी के बाद जब वह संपत्ति आप के पिता को उतराधिकार मे  मिलेगी तो  वह संपत्ति आप के लिए पैतृक संपत्ति होगी 


नोट - 1- अगर दादा जी की कोई सह संपत्ति है ओर आप के दादा जी आप के पिता जी को दान मे या वसियत मे दे जाते तो वह तो वह संपत्ति आप के पिता की सहसंपत्ति मनी जाएगी  ऐसी  संपत्ति आपके लिए पैतृक संपत्ति नहीं होगी



 पैतृक संपत्ति ऐसी संपत्ति होती है जिसमे सहदायकी की पुरूष संतान जन्म से हक प्राप्त करती है  पैतृक संपत्ति मे पुत्र का अधिकार जन्म से होता है इस लिए  पैतृक संपत्ति पर पुत्र का अधिकार जन्म से ही  होने के कारण  पैतृक संपत्ति पर पिता को सीमित अधिकार ही प्राप्त होते है इस लिए पिता  पैतृक संपत्ति  को बिना पुत्र की सहमति से ना ही  दान दे सकता है न ही किसी को वसियत कर सकता हे न ही बेंच सकता है 


नोट - लेकिन जो आप के पिता जी ने अपनी कमाई से अपनी मेहनत  अपने रुपयो से जो संपत्ति बनाई है वह  संपत्ति आप के पिता की सह संपत्ति होगी ना की  पैतृक संपत्ति   फिर जो आप के पिता की सह संपत्ति है आप के पिता जी अपनी सह संपत्ति को बेंच सकते है दान मे दे सकते है किसी को नही ववसियत कर सकते है 

विकास प्राधिकरण अप्रूव्ड कॉलोनी प्लाटिंग कौन सी होती है और फ्री होल्ड कॉलोनी जमीन कौन सी होती है

1 - D A  एप्रूव्ड ( डी ए से स्वीकृत)  वह जमीन जो विकाश प्राधिकरण किसानों से खरीद कर स्वयं या किसी बड़े बिल्डर से शहरी आवासीय योजना के मानको क...