सोमवार, 17 मई 2021

लाइन हाजिर क्या होता है नौकरी,promotion पर क्या प्रभाव पड़ता है

 लाइन हाजिर शब्द अंग्रेजों के जमाने का है मगर आप लोगों ने यह शब्द अकसर सुना होगा कि गलती कर देने पर या अपनी जिम्मेदारी निभाने पर किसी पुलिस वाले को लाइन हाजिर कर दिया गया है



अक्सर जब दरोगा या सिपाही कोई ऐसा कार्य करते हैं जहां पर जिम्मेदारी नहीं ले पाते हैं या पब्लिक का गुस्सा पुलिस या दरोगा पर होता है और जनता उन्हें सस्पेंड करने की मांग करती है  तब ऐसे पुलिसकर्मियों को कार्रवाई के नाम पर लाइन हाजिर कर दिया जाता है

और लाइन हाजिर का नाम सुनकर लोग समझ लेते हैं कि उनको उन्हें किए की सजा लाइन हाजिर  करने पर मिल गई है 
 
लेकिन हकीकत यह है सच यह है कि लाइन हाजिर पुलिस नियमावली में कोई कार्रवाई ही नहीं है लाइन हाजिर का मतलब है जहां पर आप की ड्यूटी है जो जिम्मेदारी आपको दी गई है उस्से हटाकर पुलिस लाइन में स्थानांतरण कर दिया जाता है लाइन हाजिर आप उसी तरह समझ सकते हैं जैसे कि एक थाने से दूसरे थाने या एक चौकी से दूसरे चौकी तबादला होता है

लाइन हाजिर में नौकरी पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

* जब किसी पुलिस स्टाफ को उसकी ड्यूटी से हटाना होता है तो उसे आवंटित कार्यस्थल से उसे प्रत्यक्ष अधिकारी के कार्यालय में ही ड्यूटी पर आना होता है उसे कोई जिम्मेदारी नहीं दी जाती है इससे यह लाइन हाजिर किया लाइन अटैच कहते हैं


* लाइन हाजिर में पुलिस अफसर की नौकरी पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है

वेतन संबंधी इंक्रीमेंट या प्रमोशन संबंधी किसी भी प्रकार का फर्क नहीं पड़ता है

लाइन हाजिर करने का पुलिस नियमावली में कोई नियम ही नहीं है

* लाइन हाजिर को हम सजा के रूप में नहीं देख सकते हैं क्योंकि वहां पर पुलिस ऑफिसर का नाही वेतन संबंधी नुकसान होता है ना  कि कोई अन्य नुकसान होता है


1 टिप्पणी:

  1. पुलिस को दिये गये असीमित अधिकार जो समाज के अपराधी किस्म के लोगों को कानून का पालन करने के लिए बाध्य करने के उद्देश्य से दिया गया है। किन्तु इसका दुरुपयोग करते हुए पुलिस कमरमी निर्दोष लोगों को झूठा आरोप लगाकर सनसनी फैलाने कि कोशिश कर रहे हैं जैसे जब किसी तस्कर से या गुंडे से कोई अवैध हथियार बरामद करते हैं तो उसे पैसे लेकर या किसी राजनीतिक नेता जो खुद भी अपराधी होते हैं उनके दबाव में तस्कर को रिहा कर देते हैं और उनसे बरामद अच्छे हथियार खुद पुलिस इनसपेकटर रख लेते है या अपने किसी करीबी को दे देते हैं और जो हथियार कुछ खराब होते हैं उनको पुलिस अपने निजी गोदाम में रख लेते हैं और किसी निर्दोष कमजोर आदमी जिसका कोई राजनीतिक आधार नहीं होता और ना ही समाज उनका साथ देता है ऐसे कमजोर आदमी जिसकी गिरफ्तारी से दंगा फसाद कि सम्भावना नहीं रहता है उसको अपने निजी गोदाम में रखे हथियार के साथ चालान करके अपनी पीठ थपथपा लेते हैं और दलाल मिडिया के सहयोग से प्रसारित कराकर झूठा वाहवाही लूटने की कोशिश करते हैं लेकिन भारतीय समाज अवैध हथियार और, विस्फोटक सामग्री, मादक पदार्थ, एवं ऐसे अपराध जिसमें कोई नामजद मुकदमा दायर नहीं होता है और जिसका पर्दाफाश पुलिस जांच के द्वारा किया जाता है जनता उसको पुलिस कि साजिश हि समझती है और पुलिस के जांच को पुरी तरह से असत्य मानती है। धन्यवाद जय भीम जयभारत बन्दे मातरम् जय जवान-जय किसान भारत माता की जय हो। ।

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