आज के लेख में आप जानेंगे अगर कोई व्यक्ति आपके घर के पास तेज आवाज में लाउडस्पीकर डीजे या पटाखे फोड़त है और या आपके घर के पास मैरिज होम है जहां पर रोज आपको परेशानी होती है उसके तेज गानों की आवाज से आपको उससे परेशानी हो रही है तो आप उसे कैसे सबक सिखा सकते हैं।
सबसे पहले आप यह जान लीजिए कि ध्वनि प्रदूषण फैलाना आईपीसी की धारा 268 लोक न्यूसेंस सार्वजनिक जगह पर ध्वनि प्रदूषण फैलाना कानूनन अपराध है और आईपीसी की धारा 290 और 291 में ध्वनि प्रदूषण फैलाने पर इसके लिए जुर्माना और 6 महीने के कारावास की सजा का प्रावधान भी है it
ध्वनि प्रदूषण विनियमन और नियंत्रण 2000 के अंतर्गत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीपीसीबी ने चार अलग-अलग प्रकार के चित्रों में ध्वनि मानक दंड रखा है डेसिबल वह ईकाई है जिसमें ध्वनि की तीव्रता मापी जाती है.जैसा कि आप नीचे देख सकते हैं
लेकिन आप सामान्य तौर पर समझ लीजिए कि अगर कोई भी व्यक्ति आपके घर के पास अधिक तेज आवाज में लाउड स्पीकर साउंड किसी भी प्रकार का ध्वनि प्रदूषण करता है जिससे वहां के लोगों को या आपको दिक्कत होती है या आपके घर के पास कोई मैरिज होम है जहां पर प्रतिदिन शादी समारोह में अत्यधिक डीजे साउंड का और ध्वनि प्रदूषण होता है। तो यह अपराध की श्रेणी में आता है और आप पुलिस को कॉल करके इसकी सूचना दे सकते हैं
अगर पुलिस इस पर कार्रवाई नहीं करती है तो आप वहां के मजिस्ट्रेट को ध्वनि प्रदूषण की सूचना या शिकायत पत्र दे सकते हैं उसे लगता है कि किसी के लाउडस्पीकर बजाने से पब्लिक न्यूसेंस पैदा होता है, तो वो उसे हटाने का आदेश दे सकता है. दण्ड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी की धारा 133 मजिस्ट्रेट को ऐसा आदेश देने का शक्ति देती है. अगर कोई व्यक्ति मजिस्ट्रेट के आदेश को नहीं मानता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.
इसके बाद भी आप सामान्य भाषा में समझ लीजिए अगर आपके घर के पास रात 10:00 से 11:00 बजे के बाद अगर कोई तेज आवाज में गाना बजाता है ध्वनि प्रदूषण करता है या मैरिज होम पास में है वहां पर 10:00 से 11:00 बजे के बाद अधिक शोर होता है तो आप पुलिस को तत्काल सूचना दे सकते हैं क्योंकि आपको पता होना चाहिए ध्वनि प्रदूषण के आपके अधिकारों का हनन होता है क्योंकि आपको परेशानी होती है आपको मानसिक रूप से परेशानी होती है क्योंकि संविधान का अनुच्च्द 21 में प्रत्येक नागरिक को बेहतर वातावरण और शांतिपूर्ण जीवन जीने का अधिकार देता है. और अधिक ध्वनि प्रदूषण लोगों में समस्याएं और उन्हें परेशानी पहुंचाता है
ध्वनि प्रदूषण फैलाने पर दंड प्रावधान
आईपीसी की धारा 290 जो कोई व्यक्ति लोक न्यूसेंस ध्वनि प्रदूषण करेगा वह जुर्माने से जो ₹200 तक का हो सकेगा से दंडित किया जाएगा या
आईपीसी की धारा 291 के अनुसार ध्वनि प्रदूषण बंद करने के आदेश के बाद भी अगर कोई व्यक्ति ध्वनि प्रदूषण करता है ध्वनि प्रदूषण चालू रखता है तो वह या दोबारा से ध्वनि प्रदूषण करता है तो वह सादा कारावास जिसकी अवधि 6 महीने या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है
ध्वनि प्रदूषण के मापदंड
अगर इसके क़ानून की बात करें तो ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) 2000 के अंतर्गत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने चार अलग-अलग प्रकार के क्षेत्रों के लिए ध्वनि मानदंड रखा है
औद्यगिक क्षेत्र 75 डेसिबल दिन के समय और रात में 70 डेसिबल
वाणिज्यिक क्षेत्र 65 डेसिबल दिन के समय और रात में 55 डेसिबल
आवासीय क्षेत्र 55 डेसिबल दिन में और 45 डेसिबल रात में
साइलेंस ज़ोन 50 डेसिबल दिन में और 40 डेसिबल रात में
भरतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1) ए और अनुच्छेद 21 में प्रत्येक नागरिक को बेहतर वातावरण और शांतिपूर्ण जीवन जीने का अधिकार देता है. पीए जैकब बनाम कोट्टायम पुलिस अधीक्षक मामले में केरल हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि संविधान में 19(1) ए के तहत दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किसी भी नागरिक को तेज़ आवाज़ में लाउड स्पीकर और शोर करने वाले उपकरण बजाने की इजाज़त नहीं देता है
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