crpc 46 (1) गिरफ्तार करने में पुलिस अधिकारी जो गिरफ्तार कर रहा है , गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति के शरीर को छुएगा या परिरुद्ध करेगा , जब तक उसने वचन द्वारा या कर्म द्वारा अपने को पुलिस अभिरक्षा में समर्पित न कर दिया हो
( परंतु यह कि जहां किसी स्त्री को गिरफ्तार किया जाना है, वहां जब तक परिस्थितियां प्रतिकूल न हों, गिरफ्तारी की मौखिक सूचना पर अभिरक्षा में उसके समर्पण की उप धारणा की जाएगी तथा जब तक परिस्थितियां अन्यथा अपेक्षा न करें अथवा जब तक पुलिस अधिकारी महिला ना हो, तब तक पुलिस अधिकारी स्त्री की गिरफ्तारी करने के लिए उसके शरीर का स्पर्श नहीं करेगा)
(2). ऐसा व्यक्ति अपने गिरफ्तार किए जाने के प्रयास को रोकता है या गिरफ्तार होने से इनकार करता है या गिरफ्तारी से बचने का प्रयत्न करता है तो पुलिस अधिकारी उसे गिरफ्तार करने के लिए आवश्यक सभी साधनों या बल का प्रयोग कर सकता है
(3). इस धारा के अधीन ऐसे व्यक्ति की जिस पर मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडनीय अपराध का अभियोग नहीं है तब गिरफ्तारी के दौरान इतना बल का प्रयोग नहीं किया जाएगा कि उसकी मृत्यु हो जाए
( असाधारण परिस्थितियों के सिवाय, कोई भी स्त्री सूर्यास्त के पश्चात और सूर्योदय के पहले गिरफ्तार नहीं की जाएगी और जहां ऐसी असाधारण परिस्थितियों विद्यमान है वहां स्त्री पुलिस अधिकारी, लिखित में रिपोर्ट करके, ऐसे प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुज्ञा अभिप्राप्त करेगी, जिसकी स्थानीय अधिकारिता के भीतर अपराध किया गया है या गिरफ्तारी की जानी है)
अगर गिरफ्तार किया जाने वाला व्यक्ति यदि गिरफ्तारी से बचने के लिए भागता है या बलपूर्वक प्रतिरोध करता है तब पुलिस अधिकारी हर आवश्यक साधन जैसे लाठी, डंडा या उसे मारपीट कर या उसे डरा धमका कर उसकी गिरफ्तारी की जा सकती है लेकिन बल का प्रयोग उतना ही किया जाएगा कि उस मारपीट या बल से से गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति की मृत्यु ना हो लेकिन हां ऐसा उस स्थिति में किया जा सकता है जब गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति पर उस अपराध को करने का आरोप है जिसके लिए उसे मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडित किया जा सकता है लेकिन अगर कोई पुलिस अधिकारी आवश्यकता से अधिक बल प्रयोग करता है तो उसके विरुद्ध पुलिस अधिनियम 1861 धारा 5 के अंतर्गत कार्रवाई की जा सकती है
दिलीप के० बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा गिरफ्तारी और निरोध में रखे गए व्यक्ति के संबंध में संरक्षात्मक निर्देश
1. जो पुलिसकर्मी गिरफ्तार कर रहे हैं या गिरफ्तार व्यक्ति से पूछताछ कर रहे हैं वह अपने पदनाम के साथ-साथ अपने नाम का टैग और दृष्टिगोचर और स्पष्ट पहचान धारण करना होगा ऐसे समस्त पुलिसकर्मियों की जो गिरफ्तारी किए गए व्यक्ति से पूछताछ कर रहे हो, विवरणियों को एक रजिस्टर में अब लिखित करना होगा
2. ऐसे पुलिस अधिकारी जो गिरफ़्तारी का कार्य कर रहे हो, गिरफ्तारी के समय एक ज्ञापन तैयार करना होगा और ऐसे ज्ञापन को कम से कम एक ऐसे साक्षी द्वारा साक्षांकित करना होगा जो किया तो गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के परिवार का सदस्य होगा या उस स्थान के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति होगा जहां गिरफ्तारी की गई है वहां ज्ञापन गिरफ्तारी व्यक्ति द्वारा भी प्रतिहस्ताक्षरित होगा और उसमें गिरफ्तारी का समय और उसकी तारीख भी होगी
3. वह व्यक्ति जिसे गिरफ्तार किया गया है अथवा जिसे निरोध में रखा गया है और जिसे पुलिस स्टेशन अथवा पूछताछ केंद्र अथवा हवालात में ले गई है इस बात का हकदार होगा कि व्यवहार्य: यथाशीघ्र उसके किसी मित्र अथवा नातेदार को यह सूचित कर दिया जाए कि उसे गिरफ्तार कर लिया गया है और विशेष स्थान पर निरुद्ध कर रखा गया है जब तक की गिरफ्तारी के ज्ञापन का साक्ष्कयांकन साक्षी स्वयं उस गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का मित्र अथवा नातेदार ना हो
4. गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का गिरफ्तारी का समय और स्थान और उसकी अभिरक्षा का स्थान भी पुलिस द्वारा अवश्य अधिसूचित किया जाना चाहिए , जहां उस गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का निकटतम मित्र अथवा नातेदार उस जिले अथवा नगर के बाहर रहते हो| अधिसूचना का यह कार्य उस जिले के और संबंधित क्षेत्र के पुलिस स्टेशन के विधिक सहायता संघटन के माध्यम से तार द्वारा गिरफ्तारी के बाद 8 से 12 घंटे की अवधि के भीतर किया जाना चाहिए
5. गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी अथवा निरोध के बाद यथाशीघ्र उसके अधिकार से अवश्य अवगत करा देना चाहिए कि वह अपनी गिरफ्तारी अथवा निरोध की सूचना किसी को दे सकता है
6. निरोध के स्थान पर एक डायरी में गिरफ्तार व्यक्ति के संबंध में आवश्य ही प्रविष्टि की जाएगी जिस में गिरफ्तार व्यक्ति के उस निकटतम मित्र का नाम उल्लिखित होगा जिसे गिरफ्तारी की सूचना दी गई थी
7. गिरफ्तार व्यक्ति यदि निवेदन करता है तो गिरफ्तारी के समय उसकी बड़ी और छोटी क्षतियो की परीक्षा कराई जाएगी जो कि यदि कोई हो , उसके शरीर पर पाई जाए और उसे उस समय अभिलिखित भी किया जायेगा| उस निरीक्षण ज्ञापन पर गिरफ्तार व्यक्ति और गिरफ्तारी करने वाले पुलिस अधिकारी दोनों का आवश्यक हस्ताक्षर होगा और उसको एक प्रति गिरफ्तार व्यक्ति को दी जाएगी
8. गिरफ्तार व्यक्ति की प्रति 48 घंटे पर अभिरक्षा में उसकी निरोध के दौरान एक प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा चिकित्सा परीक्षा कराई जाएगी जो कि राज्य अथवा संघ राज्य क्षेत्र स्वास्थ्य सेवाओं द्वारा नियुक्त अनुमोदित किया हुआ चिकित्सक होगा
9. समस्त दस्तावेजों की प्रतियां जिसमें ऊपर उल्लिखित गिरफ्तारी का ज्ञापन भी सम्मिलित है इलाका मजिस्ट्रेट को भी उसके अभिलेख के लिए भेजी जाएंगी
10. गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को पूछताछ के दौरान न कि उस संपूर्ण अवध में अपने वकील से मिलने की अनुमति दी जा सकती है
11. एक पुलिस नियंत्रण कक्ष प्रत्येक जिले और राज्य मुख्यालय पर स्थापित करना होगा और वहां पर गिरफ्तारी और गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की अभिरक्षा के स्थान से उस अधिकारी द्वारा जिसने गिरफ्तारी का कार्य किया है, सूचना भेजनी होगी यह गिरफ्तारी के 12 घंटे के भीतर किया जाएगा और पुलिस नियंत्रण कक्ष पर उसे किसी सहज दृश्य सूचना पटल पर चिपकाया जाएगा
नोट- उच्चतम न्यायालय के उपयुक्त आदेश का यदि अनुपालन नहीं किया जाता है तो संबंधित अधिकारी न केवल विभागीय कार्रवाई के लिए उत्तरदाई होंगे बल्कि वे न्यायालय की अवमानना के लिए दंडित भी किए जा सकते हैं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें