शनिवार, 13 मार्च 2021

NI Act 1881 परक्रम्य लिखित अधिनियम 1881

 Negotiable instruments act 1881  (NI Act) जिसे हिंदी में  परिक्रम्य लिखित अधिनियम 1881 भी  कहते हैं



यह अधिनियम वचन-पत्रों, विनिमय पत्रों और चेकों से संबंधित विधि को परिभाषित  और संशोधित करना समीचीन है 

पूरे भारत में कार्य करने वाली  वित्तीय संस्थान , उद्योग संगठन  और सामान्य जनता भी अपने लेनदेन अधिकतर चेक के द्वारा ही करते हैं चेक के माध्यम से वित्तीय कारोबार में होने वाली सुविधाओं के साथ  समस्याएं भी उत्पन्न होती है चेक के माध्यम से कारोबार में होने वाली शिकायतों को दर्ज कराने की व्यवस्था 

Negotiable instruments act 1881 (NI Act)
परिक्रम्य लिखित अधिनियम 1881  मैं प्रदान की गई है



 परिक्रम्य लिखित अधिनियम 1881  की धारा 138 चेक बाउंस होने की स्थिति में वाद दायर करने से संबंधित है  



 परक्रम्य लिखित संशोधन  अधिनियम  2015 जारी किया इस  अधिनियम में यह प्रावधान किया गया कि चेक बाउंस होने के मामले में मुकदमा उसी स्थान पर क्षेत्राधिकार में दायर होगा जहां चेक को प्रस्तुत किया जाएगा 

NI Act की धारा 2 , 72 वा 138 का संयुक्त अध्ययन चेकों को उस बैंक पर प्रस्तुत किए जाने का आदेश देता है  

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