यह अधिनियम वचन-पत्रों, विनिमय पत्रों और चेकों से संबंधित विधि को परिभाषित और संशोधित करना समीचीन है
पूरे भारत में कार्य करने वाली वित्तीय संस्थान , उद्योग संगठन और सामान्य जनता भी अपने लेनदेन अधिकतर चेक के द्वारा ही करते हैं चेक के माध्यम से वित्तीय कारोबार में होने वाली सुविधाओं के साथ समस्याएं भी उत्पन्न होती है चेक के माध्यम से कारोबार में होने वाली शिकायतों को दर्ज कराने की व्यवस्था
Negotiable instruments act 1881 (NI Act)
परिक्रम्य लिखित अधिनियम 1881 मैं प्रदान की गई है
परिक्रम्य लिखित अधिनियम 1881 की धारा 138 चेक बाउंस होने की स्थिति में वाद दायर करने से संबंधित है
परक्रम्य लिखित संशोधन अधिनियम 2015 जारी किया इस अधिनियम में यह प्रावधान किया गया कि चेक बाउंस होने के मामले में मुकदमा उसी स्थान पर क्षेत्राधिकार में दायर होगा जहां चेक को प्रस्तुत किया जाएगा
NI Act की धारा 2 , 72 वा 138 का संयुक्त अध्ययन चेकों को उस बैंक पर प्रस्तुत किए जाने का आदेश देता है
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