उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 (UPRC 2006)
की धारा 98 और 99 में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के भूमिधरो द्वारा अंतरण पर प्रतिबंध लगाया गया है
UPRC धारा 98 के अनुसार अनुसूचित जाति के भूमिधरो द्वारा अंतरण पर प्रतिबंध- (1) इस अध्याय के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना , अनुसूचित जाति के किसी भी भूमिधर को कलेक्टर की लिखित पूर्व अनुज्ञा ( परमिशन) के बिना, कोई भूमि किसी अनुसूचित जाति के व्यक्ति से अन्य किसी व्यक्ति को विक्रय( बेचना), बंधक या पट्टा द्वारा अंतरित( बैनामा कराना )करने का अधिकार नहीं होगा:
लेकिन कलेक्टर द्वारा ऐसी अनुज्ञा या ऐसी परमिशन तभी दी जा सकती है जब- यह कारण हो
(क). अनुसूचित जाति के भूमिधर के पास धारा 108 की उप धारा(2) के खंड क, अथवा धारा 110 के खंड क, जैसी भी स्थिति हो, मे विनिर्दिष्ट कोई जीवित उत्तराधिकारी ना हो तो ऐसी कंडीशन में कलेक्टर भूमि बेचने के लिए परमिशन दे सकता है या फिर
(ख) अनुसूचित जाति का भूमिधर जिस जिले में अंतरण के लिए प्रस्तावित भूमि स्थित है , और वह उस जिले से किसी दूसरे जिले में अथवा किसी दूसरे राज्य में नौकरी अथवा किसी व्यापार या नियमित रूप से या सामान्य रूप से वही रह रहा है तो ऐसी कंडीशन में भी उसे जमीन बेचने के लिए कलेक्टर परमिशन दे सकता है या देने का अधिकार रखता है
(ग) कलेक्टर का समाधान हो गया है कि विहित कारणों से भूमि के अंतरण की अनुज्ञा देना आवश्यक है तो कलेक्टर भूमी बेचने के लिए लिखित रूप से परमिशन दे सकता है
UPRC धारा 99. अनुसूचित जनजाति के भूमिधर द्वारा अंतरण पर प्रतिबंध- इस अध्याय के उपबंधो पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना अनुसूचित जनजाति के किसी भूमिधर को भूमि विक्रय दान बंधक या पट्टा के द्वारा किसी भूमि को अनुसूचित जनजाति से अलग किसी व्यक्ति को अंतरण करने का अधिकार नहीं होगा
दोस्तों जैसा कि UPRC 98 में अनुसूचित जाति के व्यक्ति को अनुसूचित जाति के सिवा किसी अन्य व्यक्तियों को जमीन बेचने का अधिकार नहीं है
उसी तरह UPRC 99 में अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति के सिवा किसी को अपनी भूमि बेचने का अधिकार नहीं है
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