धारा 305- शिशु या उन्मुक्त व्यक्ति की आत्महत्या का दुष्प्रेरण- यदि कोई 18 वर्ष से कम आयु का व्यक्ति को या किसी बच्चे या नासमझ बालक को या किसी पागल मूर्ख व्यक्ति को कोई व्यक्ति आत्महत्या के लिए बोलता है या आत्महत्या करने के लिए उकसाता है
तो वह मृत्यु या आजीवन कारावास या दोनों में से किसी बात के कारावास जिसकी अवधि 10 वर्ष से अधिक की ना हो सकेगी और जुर्माने से दंडित किया जा सकेगा
उदाहरण: क एक स्वस्थ दिमाग का व्यक्ति है अगर वह किसी बच्चे को या किसी पागल व्यक्ति को बोलता है कि वह आत्महत्या कर ली उसका इस धरती पर बोझ है उसे आत्महत्या कर लेनी चाहिए और वह आत्महत्या भी कर लेता है तो का व्यक्ति IPC की धारा 305 के अंतर्गत दोषी होगा
IPC 306- आत्महत्या का दुष्प्रेरण: यदि कोई व्यक्ति आत्महत्या करें तो उस व्यक्ति को जिसने भी आत्महत्या का दुष्प्रेरण किया होगा जिस व्यक्ति ने उस व्यक्ति को आत्महत्या के लिए उकसाया होगा आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया होगा वह व्यक्ति ऐसे किसी भी कारावास से जिसकी अवधि 10 वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी दंडित किया जाएगा
उदाहरण : यदि कोई नवविवाहित महिला का पति उस महिला को दहेज की मांग करता है दहेज के लिए प्रताड़ित करता है नवविवाहित महिला का पति के साथ-साथ उस पति के माता-पिता भी उस नवविवाहित को प्रताड़ित करते हैं और ऐसे में यदि वह नवविवाहित महिला आत्महत्या कर लेती है तो यह मामला आईपीसी की धारा 306 का होगा और उसका पति और उस पति के माता-पिता दोनों ही आईपीसी की धारा 306 के अपराधी होंगे
उदाहरण नंबर 2: किसी हिंदू विधवा को सती होने में उसकी वास्तविक रुप से सहायता करने वाले जो भी व्यक्ति होंगे उन्हें आत्महत्या के दुष्प्रेरण के लिए दोषी माना जाएगा
note: आत्महत्या के दुष्प्रेरण के अपराध में विश्वसनीय साक्ष्य होना बहुत ही जरूरी है
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