आइए जानते हैं यह संशोधन क्या है और डीएम को कब आवेदन करना पड़ेगा
पहले कई स्टांप शुल्क चोरी के मामले सामने आते थे जिसके कई मामले न्यायालय में चल रहे थे उन मामलों को खत्म करने के लिए और स्टांप शुल्क चोरी से बचने के लिए और रजिस्ट्री के समय लगने वाले स्टांप शुल्क तय करने में विवाद न हो इसलिए अब उत्तर प्रदेश में फ्लैट जमीन मकान दुकान आदि भूमि संपत्तियां खरीदने पर लगने वाले स्टांप शुल्क का निर्धारण जिला अधिकारी के स्तर से किया जाएगा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी कैबिनेट ने सोमवार को स्टांप एवं रजिस्ट्री विभाग द्वारा रखे गए संपत्ति मूल्यांकन नियमावली 1997 में संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है
इस महत्वपूर्ण निर्णय के बाद अब भूमी संपत्तियों की कीमत तय करने और रजिस्ट्री के समय लगने वाले स्टांप शुल्क तय करने में विवाद नहीं होगा इससे मुकदमों की संख्या घटेगी अब कोई भी व्यक्ति उत्तर प्रदेश में कहीं भी कोई भी जमीन, मकान, फ्लैट ,दुकान खरीदना चाहेगा तो सबसे पहले उसे संबंधित जिले के डीएम को एक प्रार्थना पत्र देना होगा और साथ ही ट्रेजरी चालान के माध्यम से कोषागार में ₹100 का शुल्क जमा करना होगा उसके बाद डीएम लेखपाल से उस भूमि संपत्ति का डीएम सर्किल रेट के हिसाब से मूल्यांकन करवाएंगे इसके बाद उक्त संपत्ति की रजिस्ट्री पर लगने वाला स्टांप शुल्क भी लिखित रूप से निर्धारित किया जाएगा
क्यों पड़ी इस संशोधन की जरूरत ?
प्रॉपर्टी खरीदने में अक्सर स्टांप चोरी की शिकायतें आती रहती हैं और कई बार खरीददार वास्तव में प्रॉपर्टी की सही मालीयत नहीं देता है और विक्रेता या प्रॉपर्टी डीलर के बताए दाम पर खरीद लेता है और सही स्टांप शुल्क निर्धारित नहीं हो पाती है या जानबूझकर स्टांप शुल्क चोरी की जाती है इससे कई बार इस कारण से जो भी प्रॉपर्टी खरीदी जाती है वह फस जाती है यह बड़े पैमाने पर लंबित मुकदमों को देखते हुए यह व्यवस्था की गई है नई व्यवस्था से स्टांप एवं रजिस्ट्री विभाग में ऐसे मुकदमों की संख्या पर कमी लाई जाएगी
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