जैसा कि आपने कई बार देखा होगा कि जब भी दो पक्ष आपस में लड़ते हैं या कहीं भी मारपीट होती है तो अगर कोई पुलिस को फोन करता है तो पुलिस आकर उन दोनों पक्ष को या उन दोनों व्यक्तियों को जो आपस में लड़ रहे थे उन्हें गिरफ्तार कर लेती है चाहे वह लड़ाई मामूली ही क्यों ना हो क्या आपने कभी सोचा है कि यह अधिकार पुलिस को कहां से मिलता है और पुलिस क्यों गिरफ्तार कर लेती है क्या यह अवैध है वही इस लेख में जानेंगे
Crpc151 के प्रावधान - संज्ञेय अपराधों को रोकने के लिए गिरफ्तारी सीआरपीसी 151 है प्रावधान करती है कि कोई पुलिस अधिकारी जिसे किसी संज्ञेय एक गंभीर अपराध होने की संभावना परिकल्पना का पता चलता है तो ऐसी स्थिति में जो व्यक्ति गंभीर अपराध करने वाला है उसे मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है
जिससे संज्ञेय गंभीर अपराधों को होने से रोका जा सके यहां पर संज्ञेय अपराधों का मतलब ऐसे अपराधों से हैं जो गंभीर किस्म के अपराध हैं और जिन्हें करने पर 3 वर्ष या 3 वर्ष से अधिक का कारावास हो सकता है वह संघीय अपराध कहलाते हैं ऐसी स्थिति में पुलिस को यह अधिकार है इस संधि अपराध करने वाले को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है संघीय अपराध में गिरफ्तार बिना वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार पुलिस को इसलिए है क्योंकि अगर पुलिस किसी मजिस्ट्रेट से आदेश ले गई तब तक वह क्राइम हो चुका होगा इसलिए ऐसे अपराधों को रोकने के लिए बिना वारंट के भी पुलिस गिरफ्तार कर सकती है
इस धारा के अधीन गिरफ्तार व्यक्तियों को उसकी गिरफ्तारी के समय से 24 घंटे की अवधि से अधिक उसे गिरफ्तार करके नहीं रखा जा सकता है 24 घंटे के भीतर उस व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा और गिरफ्तारी के तत्काल बाद उसकी गिरफ्तारी के आधारों को बतलाया जाएगा.
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि कई बार इस धारा के अधीन गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों को अगर मामूली विवाद था या उसने कोई अपराध नहीं कर पाया है और किसी ने शिकायत नहीं की है तो ऐसी स्थिति में ऐसे व्यक्ति को पुलिस कुछ देर तक थाने में बंद रखती है उसके बाद छोड़ दिया जाता है जैसी कई बार आपने देखा होगा कि चुनाव के समय कई लोगों को कुछ देर के लिए गिरफ्तार कर लिया जाता है और कुछ देर पश्चात है उतना खत्म होने के पश्चात आना छोड़ दिया जाता है
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है किस धारा का उपयोग पुलिस द्वारा कभी-कभी गलत रूप से भी किया जाता है कई बार पुलिस छोटे-छोटे मामलों में भी पैसों के लिए व्यक्तियों को गिरफ्तार करती है और पैसे लिए जाने के बाद उन्हें छोड़ देती है कई बार आपने देखा होगा कि दो लोग आपस में बहस भी कर रहे हैं और किसी ने 100 नंबर पर कॉल कर दी पुलिस आगे उन दोनों लोगों को गिरफ्तार कर लेती है और सर कुछ पैसे लेकर उन्हें वापस से छोड़ देती है जो कि बिल्कुल गलत है जबकि है धारा सिर्फ और सिर्फ गंभीर अपराधों को करने से रोकने के लिए प्रधान करती है जिससे समाज में गंभीर संघीय अपराध होने से रोका जा सके
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