गुरुवार, 27 मई 2021

ESMA ACT 1968 एस्मा क्या है ?

 ESMA- (ESSENTIAL SERVICES MAINTENANCE ACT 1968) आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम

जब कभी भी कर्मचारी हड़ताल पर बैठते हैं तो एस्मां भी चर्चा में आ जाता है या आपने एस्मा कई बार सुना होगा चलिए जानते हैं एस्मा क्या है? 

 कर्मचारियों की हड़ताल को प्रतिबंध रोकने हेतु लगाया जाता है ESMA  में लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को किसी समाचार पत्र रेडियो  टीवी या अन्य किसी स्रोतों के द्वारा सूचित किया जाता है
  इस एक्ट की धारा 2 में सेवा भी उल्लेखित की गई है जैसे पर परिवाहन ,स्वास्थ्य , सफाई सेवा आदि को यथा पूर्वक बनाए रखने के तथा कर्मचारियों की हड़ताल रोकने  जिससे व्यवस्थाएं सेवाएं बिना किसी रूकावट के चलती रहे इसीलिए यह कानून बनाया गया है  

अभी हाल ही में 2021 कोविड के चलते में  उत्तर प्रदेश  मे  ESMA  लागू हुआ है

ESMA Act  से कर्मचारियों पर क्या प्रभाव पड़ता है?


1. इस एक्ट के लागू होने के बाद अगर कोई कर्मचारी हड़ताल करता है तो वह एक दंडनीय अपराध होगा 


2. अवैध हड़ताल  हेतु जुर्माना- यदि इस अधिनियम के अंतर्गत आने वाला कोई व्यक्ति इस एक्ट के लागू होने के बाद हड़ताल करता है या उस में भाग लेता है तो वह 6 माह के कारावास और लगभग ₹200 के जुर्माने से दंडित होगा 

3. हड़ताल को उकसाने के लिए दंड-  कोई भी व्यक्ति जो अन्य व्यक्तियों को हड़ताल के लिए उकसा ता है तो वह 1 साल के कारावास या  लगभग हजार रुपए से जुर्माने से दंडित किया जाएगा

4. बिना वारंट के गिरफ्तारी की शक्ति- इस अधिनियम के लागू होने के बाद अगर  कर्मचारी हड़ताल करते हैं तो पुलिस उन्हें बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है

        सरकारे कब और क्यों एस्मा लगाती है ?

1 सरकार ESMA इसलिए लगाती हैं  जब कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से लोगों के लिए आवश्यक सेवाओं पर बुरा असर पड़ने की आशंका होती है, यह कानून जो अनिवार्य सेवाओं को बनाए रखने के लिए लागू किया जाता है

2. इसके तहत जिस सेवा पर ESMA एस्मा लगाया जाता है उससे संबंधित कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते अन्यथा को छह माह तक की कैद हो सकती है

3. ESMA  के रूप में सरकार के पास एक ऐसा हथियार है जिससे वह जब चाहे कर्मचारियों के आंदोलन को कुचल सकती है हड़ताल पर प्रतिबंध लगा सकती है जिससे सार्वजनिक सेवाओं या कर्मचारियों द्वारा जो सेवाएं दी जा रही है उनमें हड़ताल की वजह से रुकावट ना आए

यह एक केंद्रीय कानून है जिसे 1968 में लागू किया गया था लेकिन राज्य सरकार इस कानून को लागू करने के लिए स्वतंत्र हैं
http://akshay-lawadvicer.blogspot.com/2021/05/esma-act-1968.html







बुधवार, 19 मई 2021

ED Enforcement Directorate प्रवर्तन निदेशालय क्या है इसके कार्य


ED क्या होती है आपने कई बार TV  चैनल पर या अखबारों में सोशल मीडिया के जरिए क्या या हाई प्रोफेशनल मामलों में घोटालों में ED का नाम सुना होगा चलिए इस लेख में जानेंगे कि ED क्या होती है ED के कार्य क्या होते हैं?

ED क्या है

ED Enforcement Directorate प्रवर्तन निदेशालय  और  Directorate General of Economic Enforcement आर्थिक प्रवर्तन महानिदेशालय होता है कहते हैं
 
ED इसका गठन 1 मई 1956 को हुआ विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 के तहत विनिमय नियंत्रण कानूनों उल्लंघन और आर्थिक मामलों के उल्लंघन से या आर्थिक अपराध से लड़ने के लिए यह जांच एजेंसी जिम्मेदार है इन सब से निपटने के लिए ही इसका गठन किया गया था।इसका हेड क्वार्टर दिल्ली में है और 

अन्य कार्यालय जोन-  मुंबई दिल्ली, चेन्नई ,कोलकाता ,चंडीगढ़, बेंगलुरु  हैदराबाद में है 

ED मे भारतीय राजस्व सेवा  FS .भारतीय पुलिस सेवा IPS और भारतीय प्रशासनिक सेवा IAS अधिकारियों  है 


ED  किसके अधीन आती है-

 ED भारत सरकार वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन आने वाली एक विशेष वित्तीय जांच एजेंसी है 
वर्तमान 2021 में मंत्रीनिर्मला सीतारमण वित्त मंत्री है


 ED Enforcement Directorate के  कार्य-  
 
1. FEMA- Foreign Exchange management Act
    FERA-Foreign Exchange Regulation Act
    PMLA-Prevention of Money Loundering Act इन सभी act के अंतर्गत भारत सरकार की सभी तरह की       वित्तीय जांच करने का अधिकार ED को है

2. आर्थिक अपराधों में काले धन से खरीदी हुई विदेश में पड़ी किसी भी संपत्ति पर कार्रवाई करके रोकथाम करने का अधिकार  ED  को है

3. यह PMLA Prevention of Money Loundering Act के अधीन अपराध के अपराधी के विरूद्ध सर्वेक्षण,  गिरफ्तारी, जांच ,जब्ती अभियोजन का कार्य करती है PMLA मनी लॉन्ड्रिंग( जो लोग अपने ब्लैक मनी को वाइट मनी में कन्वर्ट करते हैं ) उससे संबंधित है

 मनी लॉन्ड्रिंग का उदाहरण है-
INX मीडिया कंपनी से जुड़ा मामला 2018 में ईडी ने पी. चिदंबरमऔर उनकी बेटे पर भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था

4. वित्तीय रूप से देश में गैरकानूनी कामों पर और आय से अधिक संपत्ति की जांच करने का अधिकार ED को है

5. आर्थिक उथल-पुथल आर्थिक मामले की जांच करें और आर्थिक रूप से कानून लागू करने का अधिकार ED को है

6. ED विदेशों की पड़ी संपत्ति की जांच कर सकती है या किसी व्यक्ति पर आर्थिक अपराधों की कंप्लेन या सूचना के उस व्यक्ति की संपत्ति की जांच भी कर सकती है

7. यदि कोई विदेशों की भारी मात्रा में मुद्रा रखता है  मनी लॉन्ड्रिंग या अवैध व्यापार या मुद्रा एकत्रित करता है या वह आर्थिक कानूनों का उल्लंघन करता है  तो वह अपराध है और ED के जांच का विषय है

8.न्यायिक निर्णय कार्यवाही के अंतर्गत दंड की वसूली  करती है

8. ऐसे कई केस है जो ईडी से संबंधित है जैसे-
INX मीडिया कंपनी से जुड़ा मामला , Yes Bank scam, 2G scame  

मंगलवार, 18 मई 2021

वास्तविक कब्जा सूचना के रूप में Actual possession as notice

सबसे पहले आपको उदाहरण द्वारा समझाऊं तो


 अ अपनी भूमि ₹5000 में बेचने के लिए, से एक संविदा करता है भूमि का कब्जा प्राप्त कर लेता है भूमि का कब्जा प्राप्त कर लेता है तत्पश्चात अ  ऐसी भूमि को ,के नाम ₹6000 में बेच देता है स,  ब, से भूमि में उसका क्या हित है के बारे में कोई भी जांच नहीं करता यहां भूमि पर, का कब्जा होना पर्याप्त आधार है यह मानने के लिए कि स, को, के हित की सूचना है और ब,  स के विरुद्ध संविदा के विनिर्दिष्ट पालन को परिवर्तित करा सकता है (लागू करवा सकता है)

 वास्तविक कब्जा सूचना के रूप में( actual possession as notice) 
 स्पष्टीकरण 2 संपत्ति अंतरण संशोधन अधिनियम 1929 के माध्यम से धारा 3 में जोड़ा गया यह स्पष्टीकरण कहता है कि किसी अचल संपत्ति का कब्जा उस संपत्ति के उस व्यक्ति के हक की सूचना है जिसका तत्समय (वर्तमान समय में उस पर वास्तविक कब्जा है)

इस स्पष्टीकरण के परिणाम स्वरूप इस प्रश्न को लेकर उच्च न्यायालय के निर्णय में मतभेद था-  कि कब्जा रचनात्मक  सूचना( कब्जा धारक के हक की)  के रूप में लागू होगा कि नहीं - वह समाप्त हो गया है कब्जा सूचना के रूप में लागू होगा परंतु ऐसा कबजा जैसे कि स्पष्टीकरण करता है वास्तविक कब्जा होना चाहिए ना कि रचनात्मक कब्जा

इसका उदाहरण हमने आपको ऊपर दिया है द्वारा पढ़कर फिर समझ सकते हैं

सोमवार, 17 मई 2021

लाइन हाजिर क्या होता है नौकरी,promotion पर क्या प्रभाव पड़ता है

 लाइन हाजिर शब्द अंग्रेजों के जमाने का है मगर आप लोगों ने यह शब्द अकसर सुना होगा कि गलती कर देने पर या अपनी जिम्मेदारी निभाने पर किसी पुलिस वाले को लाइन हाजिर कर दिया गया है



अक्सर जब दरोगा या सिपाही कोई ऐसा कार्य करते हैं जहां पर जिम्मेदारी नहीं ले पाते हैं या पब्लिक का गुस्सा पुलिस या दरोगा पर होता है और जनता उन्हें सस्पेंड करने की मांग करती है  तब ऐसे पुलिसकर्मियों को कार्रवाई के नाम पर लाइन हाजिर कर दिया जाता है

और लाइन हाजिर का नाम सुनकर लोग समझ लेते हैं कि उनको उन्हें किए की सजा लाइन हाजिर  करने पर मिल गई है 
 
लेकिन हकीकत यह है सच यह है कि लाइन हाजिर पुलिस नियमावली में कोई कार्रवाई ही नहीं है लाइन हाजिर का मतलब है जहां पर आप की ड्यूटी है जो जिम्मेदारी आपको दी गई है उस्से हटाकर पुलिस लाइन में स्थानांतरण कर दिया जाता है लाइन हाजिर आप उसी तरह समझ सकते हैं जैसे कि एक थाने से दूसरे थाने या एक चौकी से दूसरे चौकी तबादला होता है

लाइन हाजिर में नौकरी पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

* जब किसी पुलिस स्टाफ को उसकी ड्यूटी से हटाना होता है तो उसे आवंटित कार्यस्थल से उसे प्रत्यक्ष अधिकारी के कार्यालय में ही ड्यूटी पर आना होता है उसे कोई जिम्मेदारी नहीं दी जाती है इससे यह लाइन हाजिर किया लाइन अटैच कहते हैं


* लाइन हाजिर में पुलिस अफसर की नौकरी पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है

वेतन संबंधी इंक्रीमेंट या प्रमोशन संबंधी किसी भी प्रकार का फर्क नहीं पड़ता है

लाइन हाजिर करने का पुलिस नियमावली में कोई नियम ही नहीं है

* लाइन हाजिर को हम सजा के रूप में नहीं देख सकते हैं क्योंकि वहां पर पुलिस ऑफिसर का नाही वेतन संबंधी नुकसान होता है ना  कि कोई अन्य नुकसान होता है


शुक्रवार, 14 मई 2021

India CDS Chief of Defence Staff क्या है ,ड्रेस क्या है

 इस लेख में आप जानेंगे CDS यानी Chief of Defence Staff  की ड्रेस के बारे में 

 इससे पहले आप को शॉर्ट में इंडिया के CDS के बारे में बता देते हैं CDS इसकी फुल फॉर्म Chief of Defence Staff है दोस्तों इस पद पर सबसे पहले  जनरल बिपिन रावत इस पद पर तैनात हुए इस पद की मांग कारगिल के युद्ध से ही हो रही है लेकिन 2019 में यह मांग पूरी हुई और CDS तीनों सेनाओं का प्रमुख होता है ईस पद का मुख्य कारण है तीनों सेनाओं ,थल सेना, जल सेना, वायु सेना के संबंधों को अच्छा करें, तीनों सेनाओं में बेहतर संबंध और बेहतर कार्य के लिए यह पद बनाया गया है

चलिए अब Chief of Defence Staff CDS की  ड्रेस के बारे में जान लेते हैं फिर आपको सब कुछ समझ आ जाएगा

CDS  की  कैप पर जो  प्रतीक चिन्ह लगा है  वह तीनों सेनाओं इंडियन आर्मी ,इंडियन नेवी ,इंडियन एयर फोर्स के प्रतीक चिन्ह को दर्शाता है तीनों सेनाओं के प्रतीक  चिन्ह से मिलकर बना है

गुरुवार, 13 मई 2021

जमीन का दाखिल खारिज कौन सा अधिकारी करता है

UPRC उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता धारा 35  - उत्तराधिकार धारा 33 या अंतरण के मामलों में धारा 34 के अंतर्गत रिपोर्ट मिलने पर या किसी अन्य तरीके से उसकी जानकारी होने पर तहसीलदार ऐसी जांच करेगा जो से आवश्यक लगे या उसे प्रतीत होता है कि अंतरण हुआ है

1.यदि मामला विवादित नहीं है तो वह अधिकार अभिलेख खतौनी को संशोधित करने का आदेश देगा

2.यदि मामला विवादित है तो वह विवाद का निपटारा करेगा और अधिकार अभिलेख खतौनी को तदनुसार यदि आवश्यक हो संशोधित करने का निर्देश देगा

 सबसे महत्वपूर्ण बात उत्तराधिकार द्वारा अंतरण के मामलों में दाखिल खारिज करने का अधिकार तहसीलदार को है

शनिवार, 8 मई 2021

आर्मी के सैन्य अधिकारी उनके पद आसान भाषा में

इस लेख में हम जानेंगे आर्मी ऑफिसर की  Rank के बारे में
दोस्तों जैसा कि आपको पता होगा कि पूरी दुनिया में भारत की Army दुनिया की चौथी सबसे बड़ी आर्मी है

जिसमें 14.40000 सकरी सैनिक
जिसमें 2096000 रिजर्व बल है

भारतीय सेना RANK को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता हैं


1. Commissioned officers कमीशन अधिकारी- जो अखिल भारतीय सेवाओ और समूह A सेवा में अधिकारियों के बराबर हैं

2. Junior commissioned officers जूनियर कमीशन अधिकारी जो ग्रुप B, राजपत्रित अधिकारियों के बराबर है

3.  Other rank non- commissioned officers and soldiersअन्य रेंक में गैर कमीशन अधिकारी और सैनिक शामिल है


सबसे पहले बात करते हैं कमीशन अधिकारी rank के बारे में इस  रैंक में सबसे  highest रैंक फील्ड मार्शल की होती है 

1.Field marshal फील्ड मार्शल - यह एक पांच सितारा सामान्य अधिकारी रैंक और यह भारतीय सेना का सर्वोच्च पद है यह पद आर्मी के रेगुलर स्ट्रक्चर में शामिल नहीं है जो कि जर्नल से भी ऊपर है  फील्ड मार्शल के पद पर अभी तक केवल 2 नियुक्तियां हुई है  1. सैम मानेकशॉ  2. कोडंडेरा एम करिअप्पा 
फील्ड मार्शल पद की की सेनानिवृत्त आय लागू नहीं होती है यह जीवन भर तक रहती है  वैसे तो आर्मी की फील्ड मार्शल रैंक ही सबसे बड़ी रैंक है लेकिन इसका आर्मी में रेगुलर स्ट्रक्चर में शामिल नहीं किया गया इसलिए  आर्मी में जनरल की सबसे ऊंची पोस्ट मानी जाती है


2.General  फील्ड मार्शशल के बाद जर्नल की रैंक आती है   वैसे तो आर्मी की फील्ड मार्शल रैंक ही सबसे बड़ी रैंक है लेकिन इसका आर्मी में रेगुलर स्ट्रक्चर में शामिल नहीं किया गया इसलिए  आर्मी में जनरल की सबसे ऊंची पोस्ट मानी जाती है जो कि इस समय आर्मी के जनरल पद पर बिपिन रावत है ये सेवानिवृत्ति आयु CDS chief of Defence staff के रूप मे 3 बर्ष या 65 बर्ष CDS तीनों सेनाओं का प्रमुख होता है इसकी ड्रेस और बैच भी अलग होती है बिपिन रावत 2019 मे   पहले CDS  बने ) COAS -Chif of Army staff के रूप मे 3 बर्ष या 62 वर्ष की उर्म मे  सेवानिवृत्ति आयु

3.Lieutenant General. लेफ्टिनेंट जनरल-
आर्मी का तीसरा सबसे बड़ा पद है इनको 36 वर्ष की कमीशन सेवा के बाद चयन होता है सेनानिवृृृृततित 60 बर्ष  की आयु मे 
4.Major Journal मेजर जनरल -आर्मी का चौथा सबसे बड़ा पद है  इस पद पर प्रमोशन चयन द्वारा होता है इसके लिए 28 वर्ष की कमीशन सेवा की आवश्यकता होती है 58 बर्ष सेवानिवृत्ति आयु

5.Brigadier.ब्रिगेडियर-आर्मी का पांचवा सबसे बड़ा पद है इस पद पर भी प्रमोशन चयन द्वारा होता है
इसके लिए 25 वर्ष की कमीशन सेवा आवश्यक है 56 बर्ष सेवानिवृत्ति आयु

6.Colonel  कर्नल- यह का छठवां सबसे बड़ा पद है पहला चयन गे्ड रैंक(यानी इस पद पर 15,साल समय सीमा के अलावा उस अधिकारी का सर्विस पीरियड क्लियर होना चाहिए, वह अधिकारी सर्विस में कभी भी उसे पनिशमेंट न दिया गया हो ,उसका कभी कोर्ट मार्शल ना हुआ हो, दोषी न पाया गया हो, तथा उसके कार्य अच्छे रहे हो, तभी चयन होता है  अन्यथा चयन नहीं भी हो सक्ता है  उच्चतम स्तर पर समय समय पदोन्नत द्वारा अधिकारियों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है
यदि चयन द्वारा कर्नल को पदोन्नत नहीं किया जाता तो चैन के लिए आवश्यक कमीशन सेवा के 15 वर्ष समयमान पदोन्नत के लिए आवश्यक है तभी इह पद पर प्रमोट किमा जाता है कमीशन सेवा के 26 वर्ष जरूरी है 54 बर्ष सेवानिवृत्ति आयु

7.Lieutenant Colonel.लेफ्टिनेंट कर्नल-यह भारतीय सेना की सातवीं सबसे बड़ी पोस्ट है इसके लिए पार्ट D परीक्षा के क्लीयरेंस के अधीन 13 साल पूरे होने पर कमीशन सेवा  पूरी करना जरूरी होता है

8.Major मेजर - यह आर्मी की आठवी सबसे बड़ी पोस्ट है पार्ट B परीक्षा के क्लीयरेंस के अधीन 6 साल के लिए कमीशन सेवा का पूरा  करना जरूरी होता है

9 Captain कप्तान यह रैंक कमीशन सेवा 2 साल पूरा होने के बाद मिलती है

10.Lieutenant लेफ्टिनेंट-यह सेना की दसवीं  बड़ी पोस्ट होती  है यह वतन स्तर 10 में एक अधिकारी के रूप में भारतीय सेना में शामिल होने पर मिलती है

 दोस्तों अब बात करेंगे  आर्मी ऑफिसर की दूसरी रैंक जूनियर कमीशन अधिकारी रैंक के बारे में

1. Subedar Majorसूबेदार मेजर -जूनियर कमीशन अधिकारी रैंक का सबसे बड़ा अधिकारी होता है यह 34 साल की सेवा के बाद या 54 साल की उम्र में  रिटायर्ड होते हैं

2. Subedar सूबेदार- जूनियर कमीशन अधिकारी रैंक का दूसरे नंबर का अधिकारी होता है जो 30 साल की सेवा के बाद या 52 साल की उम्र में रिटायर होते हैं
3. Naib Subedar नायब सूबेदार- नायब सूबेदार जूनियर कमीशन अधिकारी  रैंक का तीसरे नंबर का अधिकारी होता है
जो 28 साल की सेवा के बाद या 52 साल की उम्र में रिटायर होते हैं

दोस्तों बात करेंगे सेना की तीसरी रैंक गैर कमीशन अधिकारियों के बारे में 

1. Havildar . हवलदार 26 वर्ष की सेवा देने के बाद या 49 वर्ष की आयु में रिटायर होते हैं


2.Naik. नायक गैर कमीशन अधिकारी होता है और 30 वर्ष की सेवा या 49 वर्ष की उम्र में रिटायर होते हैं



3.Lance naik. लेंस नाईक यह गैर कमीशन अधिकारी होता है और यह 19 वर्ष तक सेवा देते हैं या 48 वर्ष की उम्र में रिटायर होते हैं
4. सिपाही सिपाही 15 साल 56 दिन की सेवा के बाद या 42 साल की उम्र होने के बाद रिटायर हो जाते हैं

शुक्रवार, 7 मई 2021

NCB Narcotics Control Bureau के कार्य और शक्तियां

 

(NCB) Narcotics Control Bureau नारकोटिक्स कंट्रोलर ब्यूरो


दोस्तों जैसा कि आपने सुशांत सिंह राजपूत मामले में रिया चक्रवर्ती या अन्य  अभिनेताओं को ड्रग्स मामले में गिरफ्तार किया गया जहां पर आप ने NCB का नाम जरूर सुना होगा चलिए जानते हैं NCB क्या है इसके कार्य क्या है  यह किसके अधीन कार्य करती है

NCB की स्थापना 17 मार्च 1986 को हुई थी इसका मुख्यालय नई दिल्ली मे है NCB के डायरेक्टर जनरल है राकेश अस्थाना  जो कि एक( IPS ) अधिकारी है यह NCB भारत सरकार गृह मंत्रालय के तहत कार्य करती है इस एजेंसी(NCB) को  Narcotic Drugs And Psychotropic Substance  (NDPS Act  1985 ) के तहत नशीली पदार्थों ड्रग्स की तस्करी और गैरकानूनी पदार्थों के उपयोग के सेवन करने वाले के लिए व ड्रग तस्तरी जैसे  चरस,गाँजा,अफीम ड्रग्स व Alcohols इत्यादि। कुछ Artificial नशीले पदार्थ होते है जैसे की सोडियम और इथेनॉल होते है जिसे इंजेक्शन के माध्यम से लिया जाता है। - इनको को रोकने के लिए NCB एक ख़ुफ़िया एजेंसी है। 


NCB के कार्यालय 

NCB का राष्ट्रीय मुख्यालय दिल्ली में है जिसकी क्षेत्र इकाइयां और कार्यालय जॉन आयोजित किए जाते हैं और मुंबई, इंदौर, कोलकाता दिल्ली, चेन्नई ,लखनऊ, जोधपुर ,चंडीगढ़ ,जम्मू अहमदाबाद, बेंगलुरु, गुवाहाटी और पटना में कार्यालय स्थित है

 Note- यह सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 24(1) के तहत सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे से बाहर है

NCB के कार्य ?

इस NCB नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का मुख्य उद्देश्य देश स्तर पर मादक पदार्थ नशीले पदार्थों ड्रग्स की तस्करी को रोकना नारकोटिक्स की जांच करना तथा विदेशी तस्करों की  गतिविधियों पर निगरानी करना उन पर नजर रखना और उन्हें पकड़ना यह राज्य पुलिस विभाग केंद्रीय जांच ब्यूरो व अन्य भारतीय खुफिया एजेंसियों के सहयोग से काम करती है 

NCB इस संगठन के अधिकारियों को सीधे भर्ती किए गए सदस्यों के अलावा भारतीय राजस्व सेवा IFS भारतीय पुलिस सेवा IPS और अर्धसैनिक बलों से लिया जाता है

Narcotic Drugs And Psychotropic Substance  NDPS Act 1985 कानून के अंतर्गत किसी भी प्रकार के अवैध नशीले पदार्थों ड्रग्स गांजा का उपयोग करना खेती करना बेचना या उत्पाद करना गैरकानूनी माना गया है अगर कोई व्यक्ति इस तरह के काम करते हुए पकड़ा गया तो वह अवैध कार्य होगा और वह अपराधी होगा जिसे NDPSAct के अनुसार दंडित किया जाएगा




मौलिक कर्तव्य या मूल कर्तव्य Funfamental duti


इस लेख में आप जानेंगे मौलिक कर्तव्य क्या होते हैं इससे पहले मैं आपको बता दूं मौलिक कर्तव्य या मूल कर्तव्य या  fundamental duty कह सकते हैं प्रत्येक भारतीय नागरिक को अपने देश के प्रति कुछ जिम्मेदारियां ,कर्तव्य करने चाहिए वह कर्तव्य मौलिक कर्तव्यों में बताए गए हैं और सभी देशवासियों को इन मौलिक कर्तव्यों, दी गई जिम्मेदारियों का पालन करना चाहिए

शुरुआत में संविधान में मौलिक कर्तव्य नहीं थे लेकिन 42 वें संशोधन 1976 में मौलिक कर्तव्य जोड़े गए भाग 4 के बाद 4 क , उसके भीतर अनुच्छेद 51 क को रखा  और 10 मूल कर्तव्य शामिल किए गए

 इसके बाद 86 वें संविधान संशोधन 2002 के माध्यम से  एक और मूल कर्तव्य और जोड़ा गया इसके बाद अब 11 मूल कर्तव्य हो गए हैं

चलिए जान लेते हैं 11 मौलिक कर्तव्य या (मूल कर्तव्य ) Fundamental Duties. के बारे में

निम्नलिखित मौलिक कर्तव्य है-

1. भारतीय नागरिकों का मौलिक कर्तव्य है कि संविधान का पालन करें उसके आदेशों, आदर्शों, संस्थाओ, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें

2. स्वतंत्रता के लिए हमारी राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करें

3. सभी भारतीय नागरिकों को भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें

4. अपने देश की रक्षा करें और राष्ट्र की सेवा करें

5. भारत के सभी लोगों में सामान भावना का निर्माण करें जो धर्म भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो, और ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है

6. हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करें

7. प्रत्येक भारतीय नागरिक का मौलिक कर्तव्य है कि प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अंतर्गत वन ,झील नदी और वन्य जीव है, उनकी रक्षा करे और प्राणियों के प्रति दया भाव रखें

8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें

9.सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहे

10. व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर  बढ़ने का प्रयास करें जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए  उपलब्धियों की नई ऊंचाइयों को छू ले

11.प्रत्येक माता - पिता या संरक्षक का मौलिक कर्तव्य होगा कि वह अपने बच्चों को 14 वर्ष की आयु तक अनिवार्य शिक्षा दिलाएं। और बच्चों को यह अवसर प्रदान करें 


गुरुवार, 6 मई 2021

मौलिक अधिकार fundamental rights और ,मौलिक कर्तव्य Fundamental Duties

इस लेख में आप जानेंगे मौलिक अधिकार fundamental rights और मौलिक कर्तव्य Fundamental Duties क्या होते हैं इनमे क्या अंतर होता है?



मौलिक अधिकार या (मूल अधिकार) इंग्लिश में इसे Fundamental Right कहते है 



मौलिक अधिकार संविधान के अनुच्छेद 12 से 35 तक दिए गए हैं

1. समानता का अधिकार  14-18 
2. स्वतंत्रता का अधिकार  19-20
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार 23-24
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार 25-28
5. सांस्कृतिक एवं शिक्षा संबंधी अधिकार 29-30
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार- 32

7.पहले संपत्ति का अधिकार मौलिक अधिकार था 
और 7 मौलिक अधिकार हुआ करते थे लेकिन 44 वें संशोधन 1978 में संपत्ति का अधिकार एक कानूनी अधिकार  हो गया है और अब 7 वां मौलिक अधिकार संपत्ति का अधिकार ,हटाने के बाद और अब सिर्फ 6 ही मौलिक अधिकार बचे हैं

 चलिए जान लेते हैं मौलिक कर्तव्य Fundamental Duties  के बारे में

संविधान में मौलिक कर्तव्य नहीं थे लेकिन 42 वें संशोधन 1976 में मौलिक कर्तव्य जोड़े गए भाग 4 के बाद 4 क , उसके भीतर अनुच्छेद 51 क को रखा  और 10 मूल कर्तव्य शामिल किए गए

 इसके बाद 86 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 के माध्यम से  एक और मूल कर्तव्य और जोड़ा गया इसके बाद अब 11 मूल कर्तव्य हो गए हैं

चलिए जान लेते हैं 11 मौलिक कर्तव्य या (मूल कर्तव्य ) Fundamental Duties. के बारे में

निम्नलिखित मौलिक कर्तव्य है-

1.संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओ, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें

2. स्वतंत्रता के लिए हमारी राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करें

3. भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें

4. देश की रक्षा करें और राष्ट्र की सेवा करें

5. भारत के सभी लोगों में सामान भावना का निर्माण करें जो धर्म भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो, और ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है

6. हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करें

7. प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अंतर्गत वन ,झील नदी और वन्य जीव है, उनकी रक्षा करे और प्राणियों के प्रति दया भाव रखें

8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें

9. सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहे

10. व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर  बढ़ने का प्रयास करें जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए  उपलब्धियों की नई ऊंचाइयों को छू ले

11.प्रत्येक माता - पिता या संरक्षक का मौलिक कर्तव्य होगा कि वह अपने बच्चों को 14 वर्ष की आयु तक अनिवार्य शिक्षा दिलाएं। और बच्चों को यह अवसर प्रदान करें 

यह 11 वां मौलिक कर्तव्य 2002 में जोड़ा गया










प्रतिकूल कब्जा कब माना जाता है?

 आप ने कई बार सुना होगा कि 12 साल तक यदि कोई व्यक्ति किसी संपत्ति पर कब्जा किए रहता है तो वह प्रतिकूल कब्जे Adverse possession के आधार पर संपत्ति का मालिकाना हक प्राप्त कर लेता है


तो सबसे महत्वपूर्ण बात होती है कि प्रतिकूल कब्जा क्या होता है कब यह माना जाता है 

लिमिटेशन एक्ट 1963 के अनुसार

प्राइवेट संपत्ति पर यदि कोई व्यक्ति 12 साल तक प्रतिकूल कब्जा किये रहता है तो उसे संपत्ति का मालिकाना हक मिल जाता है

अगर कोई व्यक्ति सरकारी संपत्ति पर 30 वर्ष तक प्रतिकूल कब्जा किए रहता है तब उसे सरकारी संपत्ति पर मालिकाना हक प्राप्त हो  सकता है लेकिन यह अतिक्रमण की दशा में प्रतिकूल कब्जा मान्य नहीं होता है

चलिए बात करेंगे प्रतिकूल कब्जा कब माना जाता है और कब नहीं माना जाता है ?

राम का किसी भी शहर में एक घर है, जिसे उसने रहने के लिए अपने भाई श्याम को रहने के लिए दिया हुआ है। तो कानून ये है की 12 साल बाद श्याम को या जो भी उस प्रॉपर्टी पर रहता है उसको प्रॉपर्टी बेचने का अधिकार है कानून के मुताबिक पोजेशन श्याम को मिलेगा। इसे कहते हैं प्रतिकूल कब्जा Adverse possession यानी एडवर्स पोजेशन। या श्याम को जब भी उस संपत्ति से बेदखल किया जाता है तो श्याम कानूनी की सहायता ले सकता है

आइए जानते हैं प्रतिकूल कब्जा कब माना जाता है कब प्रतिकूल कब्जा नहीं माना जाता है?


1. कोई व्यक्ति बिना किसी विवाद के किसी संपत्ति पर 12 साल से अधिक कब्जा किए रहता है तो वह प्रतिकूल कब्जा माना जा सकता है

2. जिस संपत्ति पर कोई कब्जा किए हैं उस संपत्ति के असली मालिक ने व्यक्ति को कभी भी मकान खाली करने के लिए 12 साल के अंदर नोटिस ना दिया हो

3. 12 साल के समय में कोई भी केस न किया हो न कोई भी उस संपत्ति को लेकर न्यायालय में मामला विचाराधीन ना हो

4. कब्जा वास्तविक होना चाहिए यानी कि जो व्यक्ति अपना प्रतिकूल कब्जा बता रहा है जो व्यक्ति कब्जा 12 साल से किए हुए हैं वह निरंतर उस संपत्ति पर रहा हो निरंतर वह संपत्ति उसके कब्जे में रही हो ऐसा नहीं कि वह व्यक्ति उस संपत्ति में अपना सामान रख के कहीं दूसरी जगह रह रहा है तो वहां पर प्रतिकूल कब्जा Adverse possession नहीं माना जाएगा

5. किराएदार को कभी भी संपत्ति का मालिकाना हक नहीं मिलेगा किराएदार एक किराएदार ही रहता है
अगर कोई किरायेदार 20 साल भी अगर किराए पर रह रहा है तो उसे कभी भी प्रतिकूल कब्जे के आधार पर मालिकाना हक नहीं मिलेगा लेकिन आपसे मैं कहूंगा कि आप जब भी अपना मकान किराए पर उठाएं तब आप किराया एग्रीमेंट जरूर करवाएं

6. संपत्ति का असली मालिक अवयस्क है तो वहां उसकी संपत्ति पर कोई भी किसी को भी मालिकाना हक प्रतिकूल कब्जे के आधार पर नहीं मिल सकता है

7. यदि संपत्ति का असली मालिक मानसिक रूप से अस्वस्थ है तो भी वहां पर उसकी संपत्ति पर कोई भी व्यक्ति प्रतिकूल कब्जा के आधार पर मालिकाना हक प्राप्त नहीं कर सकता

8. यदि संपत्ति का असली मालिक सशस्त्र बलों में काम कर रहा है तब भी उसकी संपत्ति पर प्रतिकूल कब्जे के आधार पर कोई भी व्यक्ति मालिकाना हक प्राप्त नहीं कर सकता है




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